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तालसा पहाड़ पर हुआ सेंदरा
जमशेदपुर : सुंदरनगर क्षेत्र के तालसा बुरू(पहाड़) में शनिवार को सेंदरा पर्व मनाया गया. सेंदरा पर्व खेलने के लिए सुंदरनगर, सारजामदा, नरवा, करनडीह, रानीडीह, जादूगोड़ा, मुसाबनी समेत अन्य जगहों के सैंकड़ों की संख्या में सेंदरा वीर पहुंचे थे. तालसा जंगल में वन्य प्राणी नहीं है. बावजूद इसके यहां प्रतिकात्मक रूप में सेंदरा वीर पारंपरिक गाजे-बाजे […]
जमशेदपुर : सुंदरनगर क्षेत्र के तालसा बुरू(पहाड़) में शनिवार को सेंदरा पर्व मनाया गया. सेंदरा पर्व खेलने के लिए सुंदरनगर, सारजामदा, नरवा, करनडीह, रानीडीह, जादूगोड़ा, मुसाबनी समेत अन्य जगहों के सैंकड़ों की संख्या में सेंदरा वीर पहुंचे थे. तालसा जंगल में वन्य प्राणी नहीं है. बावजूद इसके यहां प्रतिकात्मक रूप में सेंदरा वीर पारंपरिक गाजे-बाजे के साथ जंगल में कूच किये.
इसके बाद पुन: गाजे-बाजे के साथ नृत्य करते हुए विश्राम स्थल में पहुंचे. इससे पूर्व सुबह में तालसा गांव के माझी बाबा दुर्गाचरण मुर्मू की देखरेख में पहाड़ी के नीचे वन देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की गयी. अच्छी बारिश व फसल के लिए प्रार्थना की गयी.
सिंगराई नृत्य का उठाया लुत्फ
तालसा फुटबॉल मैदान में पारंपरिक वीर सिंगराई का आयोजन किया गया. इसमें सिंगराई में 15 टीम पहुंचे थे. सिंगराई वीरों ने अपनी नृत्य कला से दर्शकों का मनोरंजन करेंगे. कलाकारों ने नृत्य नाटिका के माध्यम से सामाजिक कई बिंदुओं को सामने रखा. इस कार्यक्रम को सफल बनाने में सामाजिक संस्था आदिवासी नव युवक क्लब तालसा ने योगदान दिया.
परंपरा को किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ेंगे : दुर्गाचरण
तालसा माझी बाबा दुर्गाचरण मुर्मू ने बताया कि आदिकाल से चली आ रही पूर्वजों की सेंदरा परंपरा को किसी भी कीमत पर नहीं छोडेंगे. सेंदरा का संबंध जंगली पशुओं के शिकार करने मात्र से नहीं है, बल्कि इस दिन वन देवी-देवता व बारिश के लिए पूजा की जाती है. कृषक परिवार के लिए यह पूजा बहुत महत्व रखता है. इस पूजा के बहाने वन के साथ आदिवासी समुदाय का लगाव बना हुआ है.
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