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68 साल बाद रिफ्यूजियों को भी मिल सकेगी जमीन68 साल बाद रिफ्यूजियों को भी मिल सकेगी जमीन

जमशेदपुर : 1947 के विभाजन के दौरान पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) अौर पश्चिमी पाकिस्तान से अपना सब कुछ छोड़ कर जमशेदपुर आये रिफ्यूजियों को 68 साल बाद जमीन की बंदोबस्ती देने की प्रक्रिया शुरू हो गयी है. सोमवार को पंजाबी कॉलोनी, सिंधी कॉलोनी अौर ईस्ट बंगाल कॉलोनी में रहने वाले रिफ्यूजियों को जमीन बंदोबस्ती के लिए […]

जमशेदपुर : 1947 के विभाजन के दौरान पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) अौर पश्चिमी पाकिस्तान से अपना सब कुछ छोड़ कर जमशेदपुर आये रिफ्यूजियों को 68 साल बाद जमीन की बंदोबस्ती देने की प्रक्रिया शुरू हो गयी है. सोमवार को पंजाबी कॉलोनी, सिंधी कॉलोनी अौर ईस्ट बंगाल कॉलोनी में रहने वाले रिफ्यूजियों को जमीन बंदोबस्ती के लिए ईस्ट बंगाल कॉलोनी स्थित दुर्गा मंदिर सामुदायिक भवन में कैंप लगाया गया.
सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी जयकांत कुमार सिंह के नेतृत्व में टीम ने लोगों को बंदोबस्ती के लिए फॉर्म दिया तथा जरूरी कागजातों की जानकारी दी गयी. उन्होंने ईस्ट बंगाल कॉलोनी के मुखिया संजय नंदी, रिफ्यूजी कॉलोनी गुरुद्वारा कमेटी के चेयरमैन अजीत सिंह से विभाजन के बाद यहां आकर बसे परिवारों के बारे में जानकारी ली. कैंप में आये कुछ लोगों ने रिफ्यूजी कार्ड गुम होने या कागजात गल जाने की शिकायत की. कैंप में पहले दिन 200 लोगों ने फॉर्म लिया तथा छह लोगों ने जमा किया. मनोरंजन घोष, जुगल कुमार पॉल समेत अन्य छह लोगों ने 1950 में मिले रिफ्यूजी कार्ड की प्रति के साथ आवेदन जमा किया है.
परिवार के मुखिया के निधन पर देनी होगी वंशावली. 1950 में बसाये गये शरणार्थियों को परिवार के मुखिया के नाम पर शरणार्थी कार्ड सरकार द्वारा निर्गत किया गया था. परिवार के मुखिया की मृत्यु की स्थिति में बंदोबस्ती के लिए वर्तमान पारिवारिक सदस्य एवं मकान व भूमि का ब्योरा तथा वंशावली भी आवेदन के साथ देनी होगी. इधर इस्ट बंगाल कॉलोनी के मुखिया संजय नंदी ने कहा है कि 68 साल बाद सरकार ने बंदोबस्ती प्रक्रिया शुरू कर हक देना शुरू किया है. यह सराहनीय कदम है.
ईस्ट बंगाल में 136 अौर पंजाबी-सिंधी कॉलोनी में 269 परिवार बसाये गये थे
जमशेदपुर. विभाजन के बाद पूर्वी एवं पश्चिमी पाकिस्तान से 269 पंजाबी अौर सिंधी तथा 136 बंगाली परिवार शहर आये थे. पहले घाघीडीह फिर, बारा (सिदगोड़ा) में तथा उसके बाद 1950 में गोलमुरी-सीतारामडेरा रिफ्यूजी कॉलोनी में उन्हें बसाया गया. रिफ्यूजी कार्ड देकर सभी को 22.5/55 फीट से 30/55 फीट जमीन देकर बसाया गया था. तब जमीन के कागजात नहीं दिये गये थे. ईस्ट बंगाल कॉलोनी में अभी परिवारों की संख्या 225 है जबकि पंजाबी-सिंधी रिफ्यूजी कॉलोनी में यह बढ़कर 800 हो चुकी है.

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