जमशेदपुर: लोको कॉलोनी के लिए रेलवे फाटक अभिशाप बन चुका है. आलोक कुमार द्विवेदी की मौत का मामला यह कोई पहला केस नहीं है. इससे पहले इस रेलवे फाटक के कारण कई लोगों की जान चुकी है.
कई गर्भवती महिलाएं अपने बच्चे को फाटक पर जन्म दे चुकी हैं, तो कई लोग डिलिवरी के वक्त या इमरजेंसी के वक्त क्षेत्र को छोड़कर दूसरे एरिया में भाड़े पर रहने के लिए चले जाते हैं.
लेकिन इन्हीं बीच में कई बार कुछ दम तोड़ देते हैं, तो कुछ तड़पते रह जाते है. लोको फाटक के उस पार लोको कॉलोनी है, जिसमें करीब सात हजार की आबादी है. 3200 से अधिक मतदाता हैं. इन मतदाताओं की आवाज उठाने वाला कोई नहीं है. लोको कॉलोनी के लिए किसी तरह का फ्लाइओवर नहीं बन सकता है, तो वैकल्पिक रास्ता निकालने का प्रयास के बारे में अब तक रेलवे प्रबंधन द्वारा कोई गंभीर प्रयास या विचार तक नहीं किया गया है.