प्री प्राइमरी कक्षाओं में दाखिले के नाम पर बढ़ाये शुल्क में 2700 तक की वृद्धि
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प्राइमरी की किताबों के वसूल रहे Rs 5000
प्री प्राइमरी कक्षाओं में दाखिले के नाम पर बढ़ाये शुल्क में 2700 तक की वृद्धि जमशेदपुर : बच्चों को बेहतर शिक्षा देने का सपना पाले आम आदमी को प्राइवेट स्कूल दोनों हाथों से लूट रहे हैं. नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार कानून के तहत प्राइवेट स्कूलों को हर वर्ष जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय […]
जमशेदपुर : बच्चों को बेहतर शिक्षा देने का सपना पाले आम आदमी को प्राइवेट स्कूल दोनों हाथों से लूट रहे हैं. नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार कानून के तहत प्राइवेट स्कूलों को हर वर्ष जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय में अपने आय-व्यय का ब्यौरा देना है. लेकिन स्कूल जानकारी नहीं दे रहे. आलम यह है कि निजी विद्यालयों में साल दर साल किताबों के दाम आसमान छू रहे हैं. हर साल स्कूलों के ड्रेस का रंग और जूते की क्वालिटी बदल रही है. प्री प्राइमरी कक्षाओं में नामांकन करने के लिए न्यूनतम 10 हजार रुपये से लेकर 30 हजार रुपये तक खर्च करने पड़ रहे हैं.
शिक्षा विभाग के पास शिकायतों का बोझ बढ़ता जा रहा है. कक्षा एक के बच्चों के लिए औसतन 2100 से लेकर 3000 तक की किताबें लग रही है. कक्षा दो में यह अांकड़ा 3200 से 4500 हजार तक का है. कक्षा तीन से पांचवीं तक के बच्चों को किताबें 5000 रुपये तक पहुंच रही है. शैक्षणिक सत्र 2018-19 के लिए प्राइवेट स्कूलों में होने वाले दाखिले में पिछले वर्ष के मुकाबले 400 से 2700 रुपये तक की वृद्धि की है. इस मामले में जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक में शिकायत की गयी है, लेकिन अभिभावकों को अब तक कोई राहत नहीं मिली है. स्कूलों के काउंटर से खुलेआम किताबें, ड्रेस और जूते बेचे जा रहे हैं. उत्तर प्रदेश से पहले झारखंड सरकार ने प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए कानून का मसौदा तैयार कर विधानसभा में पेश किया,
लेकिन आम लोगों के हित के यह फैसले माननीयों की सहमति के इंतजार मेें लटके हुए हैं. राज्य का स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग कार्रवाई के लिए कानून का इंतजार कर रहा है. अभिभावकों की शिकायतों का भार बढ़ता हुए देख विभाग के प्रधान सचिव अमरेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि संबंधित मामला वह झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण के समक्ष उठायेंगे.
विधानसभा में लटका हुआ है प्रस्ताव, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग इंतजार में
चार साल में तेजी से बढ़ा दाखिले का शुल्क
पिछले कुछ वर्षों में प्री प्राइमरी कक्षाओं में दाखिले के लिए लिए जाने वाले शुल्क पर नजर डालें, तो हैरान करने वाली तस्वीर सामने आ रही है. जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय को प्राप्त एक शिकायत पत्र में इसका पूरा ब्यौरा दिया गया है. शिकायत पत्र में दावा किया गया है कि स्कूलों की ओर से अभिभावकों पर एडमिशन चार्ज के रूप में बड़ा बोझ डाला गया है. हालांकि प्राइवेट स्कूल एडमिशन चार्ज में वृद्धि के दावे को खारिज कर रहे हैं.
चार वर्षों में शुल्क बढ़ोतरी
स्कूल इंट्री प्वाइंट 2015 2016 2017 2018 वृद्धि
टैगोर एकेडमी साकची नर्सरी एलकेजी 7520 7660 7710 8280 570
केएसएमएस एलकेजी —- —- 10880 13675 2795
सेंट मेरीज स्कूल बिष्टुपुर एलकेजी 18330 19300 19875 20370 495
डीपीएस साकची नर्सरी एलकेजी 7150 8060 9100 9800 700
एमएनपीएस बिष्टुपुर नर्सरी 9900 12000 13800 14900 1100
नरभेराम हंसराज बिष्टुपुर एलकेजी 9665 10180 10750 11530 780
चिन्मया स्कूल बिष्टुपुर एलकेजी 7910 8140 9300 10000 700
डीबीएमएस स्कूल कदमा केजी वन 10535 12135 13120 15110 1990
जेएच तारापोर धतकीडीह एलकेजी 9225 9890 10460 11085 625
चर्च स्कूल बेल्डीह नर्सरी 15330 16490 19560 21452 1892
अप्रैल से प्राइवेट स्कूलों की फीस में हुई वृद्धि
प्राइवेट स्कूलों की ओर से नये सत्र की शुरुआत होने के साथ ही मासिक शुल्क में 10 फीसदी से लेकर 20 फीसदी तक की वृद्धि की गयी है. झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण के आदेश के विपरीत प्राइवेट स्कूल मनमाने तरीके से अभिभावकों पर फीस का बोझ लाद रहे हैं. कई स्कूल छात्रों की किताबें भी अपने काउंटर से ही खरीदने के लिए अभिभावकों को मजबूर कर रहे हैं.
प्री प्राइमरी में दाखिले को लेकर फीस वृद्धि का दिया गया आंकड़ा त्रुटिपूर्ण है. पिछले वर्ष के मुकाबले फीस में महज 650 रुपये तक की ही वृद्धि की गयी है.
आशु तिवारी, प्रिंसिपल, एमएनपीएस
शुल्क वृद्धि के बारे में दी गयी जानकारी गलत है. फीस में किसी तरह की वृद्धि नहीं की गयी है. इस बारे में अगर विभाग की ओर से कुछ पूछा जाता है, तो बताया जायेगा.
नर्गिस मेडोन, डायरेक्टर, जेएच तारापोर
निजी स्कूलों की ओर से की जा रही फीस वृद्धि के मामले में लगातार राज्य भर से शिकायतें मिल रही है. झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण के समक्ष विभाग यह मामला उठायेगा.
अमरेन्द्र प्रताप सिंह, प्रधान सचिव, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग, झारखंड सरकार
हमने इस मामले में पीएमओ से लेकर जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय तक शिकायत की है. निजी स्कूलों की मनमानी नहीं रुक रही. अब कोर्ट का दरवाजा खटखटाने जा रहा हूं.
अंकित आनंद, संस्थापक, शिक्षा सत्याग्रह संस्था, जमशेदपुर
आंकड़े की नजर में हकीकत
अारवीएस एकेडमी
आइसीएसइ से मान्यता प्राप्त आरवीएस में कक्षा एक में नामांकन लेने वाले छात्र के अभिभावक से किताब-कॉपी के नाम पर 2098 रुपये वसूले जा रहे हैं. कक्षा एक के बच्चे के लिए लगायी गयी एक किताब की कीमत 349 रुपये तक ली जा रही हैं. चार किताबें कक्षा एक में एेसी हैं, जिनकी कीमत 200 से ऊपर है.
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