जमशेदपुर : टाटा स्टील जूलॉजिकल पार्क में युवा मादा बाघ आहाना व शावक की मौत बेबेसिअोसिस बीमारी से नहीं बल्कि कार्डियक अरेस्ट से हुई थी. हालांकि 18 मार्च को मरने वाले बाघ शावक में बेबेसिअोसिस बीमारी के लक्षण देखे गये थे. वन विभाग के विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम द्वारा किये गये पोस्टमार्टम में यह बात सामने आयी है.
वन विभाग ने जूलॉजिकल पार्क प्रबंधन को भी पोस्टमार्टम रिपोर्ट सौंप दी है. जूलॉजिकल पार्क के डायरेक्टर ने बताया कि रिपोर्ट के अनुसार बाघ की मौत का कारण कार्डियक फेल होना बताया गया है, अचानक कार्डियक अरेस्ट कैसे हुआ ? यह जांच का विषय है. उन्होंने कहा कि बेबेसिअोसिस बीमारी की वजह से भी यह संभव है.
जूलॉजिकल पार्क के डायरेक्टर विपुल चक्रवर्ती के अनुसार बाघ में बेबेसिअोसिस के प्रोटोजोआ को दूर करने के लिए हर संभव उपाय किये जा रहे हैं. तकनीक के इस्तेमाल से प्रोटोजोआ तेजी से फैल नहीं सका. फिलहाल जिन बाघों में प्रोटोजोआ के लक्षण दिख रहे थे, उनकी रिकवरी तेजी से हो रही है. डायरेक्टर श्री चक्रवर्ती के अनुसार सभी बाघ के अलावा कैट प्रजाति के किसी अन्य जानवर में यह लक्षण नहीं दिखा है.
कोलकाता से पहुंची टीम. जूलॉजिकल पार्क में दो बाघों की मौत पर सेंट्रल जू अथॉरिटी गंभीर है.
अथॉरिटी ने गुरुवार को दो एक्सपर्ट की टीम टाटा स्टील जूलॉजिकल पार्क भेजी थी. टीम में डॉ प्रलय मंडल अौर डॉ मृत्युंजय मंडल शामिल हैं. दोनों ने टाटा जू में बाघ, शेर, तेंदुआ के बाड़े का जायजा लिया. मरीन ड्राइव की अोर से स्थल का निरीक्षण किया. निरीक्षण में जू के डायरेक्टर, डिप्टी डायरेक्टर, क्यूरेटर के साथ ही जुस्को के अधिकारी शामिल थे. टीम ने दो दिन तक शहर में रहकर स्थलों का निरीक्षण किया. दूसरे दिन संक्रमित जानवरों का ब्लड सैंपल लिया जायेगा.
इस तरह टीम यह पता करेगी कि आखिर उक्त प्रोटोजोआ चिड़ियाघर में कैसे प्रवेश किया.
कुछ तो गड़बड़ है : डॉ प्रलय. चिड़ियाघर पहुंची टीम के सदस्य डॉ प्रलय मंडल ने कहा कि प्रथम दृष्टया तो व्यवस्था ठीक नजर आ रही है. साफ-सफाई का इंतजाम बेहतर हैं, लेकिन सप्ताह भर में दो बाघों की मौत चिंता का विषय है. कहीं ना कहीं कुछ तो गड़बड़ है. गड़बड़ी देखने से नहीं पता चलेगी, इसके लिए वैज्ञानिक तरीके से हम कुछ रिसर्च करेंगे,
इसके बाद जल्द बाघों की मौत के कारणों का पता चल जायेगा.
प्रदूषण हो सकता है बड़ा कारण. सेंट्रल जू अथॉरिटी की टीम ने कहा कि बेबेसिअोसिस बीमारी आम तौर पर पशुअों में ही होती है. बीमारी के संक्रमण से जू के कीपर या फिर अन्य लोगों को कोई समस्या नहीं होगी. उन्होंने कहा कि साफ-सफाई के साथ ही प्रदूषण व अनुकूल मौसम न होना भी बीमारी के प्रोटोजोआ के तेजी से पनपने का कारण हो सकता है.
ब्लू प्रिंट तैयार. जूलॉजिकल पार्क का गुरुवार को जुस्को के अधिकारियों ने भी दौरा किया. चीफ डिविजनल मैनेजर डॉ अरुण अभिषेक, कीट विशेषज्ञ डॉ आलोक शर्मा व वेटनरी अॉफिसर डॉ सतीश इसमें शामिल थे. तीनों ने जू के एक-एक इलाके का निरीक्षण किया. दोबारा ऐसा न हो इसके लिए संभावित बदलावों पर विचार किया गया. अभी यह पता लगाया जा रहा है कि संक्रमण चिड़ियाघर में कैसे आया और उसे रोकने के लिए क्या जरूरी कदम उठाये जा सकते हैं.
ब्लड सैंपल को रांची वेटनरी कॉलेज भेजा गया. टाटा स्टील जूलॉजिकल पार्क में 18 मार्च को बाघ शावक व 25 मार्च को युवा मादा बाघ आहाना की मौत के कारणों की जांच के लिए ब्लड सेंपल रांची के वेटनरी कॉलेज भेजा गया है. डायरेक्टर विपुल चक्रवर्ती ने बताया कि 26 मार्च को ब्लड सैंपल भेजा गया था लेकिन अब तक रिपोर्ट नहीं आयी है.
उन्होंने बताया कि बाघ शावक के ब्लड सैंपल को भी रांची के वेटनरी कॉलेज भेजा गया था, लेकिन एक्सपर्ट ने कहा है कि जो सैंपल भेजा गया है, वह रिपोर्ट देने के लिए नाकाफी है. एक्सपर्ट ने नये सिरे से ब्लड सैंपल मांगा ताकि जांच आगे बढ़ायी जा सके. इधर, तब तक बाघ शावक को दफना दिया गया था.