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लोकगीत से तो हमारी जड़ें जुड़ी हैं, वहां लौटना ही होगा

बच्चों के टैलेंट को निखारें, सिर्फ मुंबई घुमने से कैरियर बरबाद होगा जमशेदपुर : लोकगायन एक बार फिर से अपने उत्कर्ष पर पहुंच रहा है. युवा वर्ग की रुचि एक बार फिर से लोकगायन की ओर हो रही है. यह बात देश की प्रख्यात लोकगायिका मालिनी अवस्थी ने कही. वे सोमवार को बिष्टुपुर स्थित एक […]

बच्चों के टैलेंट को निखारें, सिर्फ मुंबई घुमने से कैरियर बरबाद होगा

जमशेदपुर : लोकगायन एक बार फिर से अपने उत्कर्ष पर पहुंच रहा है. युवा वर्ग की रुचि एक बार फिर से लोकगायन की ओर हो रही है. यह बात देश की प्रख्यात लोकगायिका मालिनी अवस्थी ने कही. वे सोमवार को बिष्टुपुर स्थित एक होटल में प्रभात खबर से बातचीत कर रही थीं. मालिनी अवस्थी ने कहा कि लोक गायन जीवन शैली से जुड़ा है. महिलाएं चक्की पिसती थी तो गाना गाती थीं वह लोक गायन होता था, धान रोपनी के गीत होते हैं, सास जब बहु का परिछावन करती है तब के गीत हैं.
यह सब संस्कृति से जुड़ा हुआ है, यहां लोगों को लौटना ही पड़ता है. लोकगायिका ने कहा कि पहले संयुक्त परिवार हुआ करता था. लोग जड़ यानी अपने परिवार को छोड़कर शहर में कमाने जाते थे और फिर से लौट जाते थे, लेकिन अब लोग अपनी जड़ से उखड़ जाते हैं. नयी पीढ़ी को गांव की कहानी बतायी जाती है तो वे बच्चे कहते हैं कि कम से कम एक घर तो रखना था, जहां हम लोग आ जा सकते थे. इसके बाद से यह बदलाव आने लगा है. और लोग वापस अपनी जड़ की ओर लौट रहे हैं. जब लोग जड़ की ओर बढ़ेंगे तो लोक गायकी अपने आप बेहतर हो जायेगी.
तकनीक से लोक गायकी मजबूत हुई है : मालिनी अवस्थी ने कहा कि तकनीक आने से लोक गायकी मजबूत हुई है. अब लोग यू ट्यूब और गुगल में सर्च मारकर धोबिया, बिरहा, घाटो, झूमर, चैता, कजरी जैसे गीत भी सुन रहे हैं और उसे देखने-सुनने वालों की संख्या बहुत है. अब लोग इन गीतों को गुनगुनाने भी लगे हैं. अब स्थिति बदल रही है. उन्होंने कहा कि यह सही बात है कि ढोलक कहीं खूंटी पर टांग दी गयी है, लेकिन अब नयी तकनीक से भी ढोलक बज रहे हैं और लोग फिर से ढोलक की आवाज सुनने के लिए दूर दराज से खींचे चले आ रहे हैं.
बच्चों को दादा-दादी से जोड़ना जरूरी
उभरते कलाकारों के लिए रियलिटी शो को बेहतर मंच बताते हुए मालिनी अवस्थी ने कहा कि कई लोगों को हमने देखा है कि रियलिटी शो में एक बार 12 साल की उम्र में ब्रेक मिला तो लोग मुंबई ही घुमने लग जाते हैं. वे लोग वापस जाना ही नहीं चाहते हैं. मेरा मानना है कि रियलिटी शो करने के बाद लोगों को रियाज और बेहतर तरीके से करना चाहिए. बिना रियाज के कोई आगे बढ़ नहीं सकता है. अपने में कला ऐसी विकसित करनी चाहिए कि लोग आपके पास खींचे चले आयें और आपकी आवाज लोगों की जरूरत बन जाये. माता-पिता को चाहिए कि अपने बच्चों को दादा-दादी से जोड़ें. लोक गायकी में बेहतर कैरियर है. लोक गायकी घर की गायकी है, जिसको लोग भूलते जा रहे हैं. उससे बच्चों को जोड़ें, संस्कृति से बच्चे जुड़ेंगे तो लोक गायक बच्चा जरूर बन जायेगा और वह एक दिन कलाकार जरूर बनेगा. लेकिन यह याद रहे कि बिना रियाज और मेहनत के कुछ भी संभव नहीं है.
आठवीं अनुसूची में शामिल हो भोजपुरी
मालिनी अवस्थी ने कहा कि मैंने समीर व संदीप चौटा जैसे गीतकारों के लिखे गीतों को इसलिए नहीं गाया क्योंकि वह हमको फिट नहीं कर रहा था. मेरा मानना है कि ऐसा रिस्क लेने का माद्दा रखना चाहिए. जहां तक भोजपुरी फिल्मों की बात है तो भोजपुरी फिल्मों में गाने वाले, अभिनेता व अभिनेत्री, सारे लोग चाहेंगे तो और बेहतर हो जायेगा. सिर्फ सस्ती लोकप्रियता नहीं खोजी जानी चाहिए. फिल्म या संगीत आपको लोकप्रियता व पैसा के अलावा और क्या दे रहा है,
यह भी देखना चाहिए. भोजपुरी भाषा में शारदा सिन्हा को बड़ा उदाहरण बताते हुए मालिनी ने कहा कि उन्होंने तो कभी समझौता नहीं किया, अपनी शर्तों पर गाया. फिर भी लोग आज उनको सुनना चाहते हैं, जो बताता है कि लोक गायकी की चाहत कितनी है. लोक गायिका ने कहा कि सरकार से मेरी गुजारिश है कि भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल करना चाहिए.

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