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पत्थलगड़ी के नाम पर प्रशासन किसी को भी परेशान नहीं करे : पृथ्वी माझी

कदमा दिशोम जाहेरथान में आयोजित एक कार्यक्रम को कर रहे थे संबोधित जमशेदपुर : पत्थलगड़ी आदिवासी समाज की परंपरा से जुड़ा मामला है. उसमें समाज की आस्था है, जो हजारों सालों से चली आ रही है, उसे गलत बताना प्रशासन की भूल है. पत्थलगड़ी कहीं से भी गलत नहीं है. इसके लिए ग्रामीणों को परेशान […]

कदमा दिशोम जाहेरथान में आयोजित एक कार्यक्रम को कर रहे थे संबोधित

जमशेदपुर : पत्थलगड़ी आदिवासी समाज की परंपरा से जुड़ा मामला है. उसमें समाज की आस्था है, जो हजारों सालों से चली आ रही है, उसे गलत बताना प्रशासन की भूल है. पत्थलगड़ी कहीं से भी गलत नहीं है. इसके लिए ग्रामीणों को परेशान करना ठीक नहीं है. सही व गलत कार्य को देखना भी प्रशासन का काम है. व्यक्तिगत रूप से कोई एक व्यक्ति गलत हो सकता है, उसके लिए पूरे समाज को दोषी ठहराना उचित नहीं है. सरकार को आदिवासी समाज के बुद्धिजीवियों से संवाद स्थापित कर अमन-शांति बहाल करने का प्रयत्न करना चाहिए. उक्त बातें असम विस के पूर्व स्पीकर पृथ्वी माझी ने कही.
वे गुरुवार को नगर प्रवास के दौरान कदमा दिशोम जाहेरथान में आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि झारखंड आदिवासी-मूलवासी को केंद्र बिंदु मानकर गठित हुआ है. राज्य का बागडोर आदिवासी के हाथ में होना चाहिए. यहां यह भी बहुत बड़ी भूल हुई है. इसे भी सुधारने की जरूरत है, अन्यथा आदिवासी-मूलवासी समुदाय के लिए विशेष राज्य बनाने का कोई मतलब नहीं रह जायेगा. सामाजिक एकता कायम करें. पृथ्वी माझी ने कहा कि झारखंड मेें आदिवासी-मूलवासियों की वर्तमान स्थिति किसी से छुपी नहीं है. अपने ही राज्य में आदिवासी मूलवासी अल्पसंख्यक बनाने की षडयंत्र रची जा रही है. आदिवासी समाज के लोग भले ही अलग-अलग राजनीतिक संगठन से जुड़े हों, आदिवासियत को बचाने के लिए एकजुट रहें. एकजुटता से ही अस्तित्व को बचाया जा सकता है. समाज के अंदर के दलालों को पहचानें, उनकी बातों में अनसुना करें.

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