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विस में पारित करा दिया जा सकता है मालिकाना
जमशेदपुर : मंत्री सरयू राय ने कहा कि विधानसभा में पारित कराकर मालिकाना हक दिया जा सकता है. श्री राय अपने बिष्टुपुर स्थित आवास पर शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे. श्री राय ने कहा कि मेरा मत है कि मालिकाना हक दे दिया जाना चाहिए. 2006 में जब वे निजी विधेयक लाये […]
जमशेदपुर : मंत्री सरयू राय ने कहा कि विधानसभा में पारित कराकर मालिकाना हक दिया जा सकता है. श्री राय अपने बिष्टुपुर स्थित आवास पर शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे. श्री राय ने कहा कि मेरा मत है कि मालिकाना हक दे दिया जाना चाहिए. 2006 में जब वे निजी विधेयक लाये थे, तब सदन में यह प्रस्ताव गिर गया था. इस प्रस्ताव को भी अंगीकृत किया जा सकता है. श्री राय ने कहा कि दस डिसमिल तक की जमीन को लीज पर देने का फैसला लिया गया है, लेकिन डिसमिल में बांधने से बेहतर होगा कि सारे लोगों को एक साथ दे दिया जाये.
1985 का कट ऑफ नहीं रखना चाहिए. इसको झारखंड गठन के साल 2000 या फिर टाटा लीज समझौता के वक्त जब टाटा लीज से सरकारी जमीन बनी थी, 2005 में तब से लागू किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि पांच डिसमिल तक की जमीन पर बसे लोगों को बासगीत पर्चा देकर सीधे मालिकाना हक दे दिया जाये. इसके बाद 10 डिसमिल से ऊपर के लोगों को वर्ष 2000 या वर्ष 2005 से लीज पर सरकार देना चाहे तो दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार के नियत या मंशा पर किसी तरह का कोई सवाल नहीं है, लेकिन लीज कैसे मिलेगा, लीज शब्द का मतलब क्या होता है, उसको लेकर जरूर सवाल उठ रहा है.
उन्होंने बताया कि लीज के बजाय मालिकाना हक दिया जा सकता है, जो मध्य प्रदेश और दिल्ली जैसे प्रदेशों में किया जा चुका है. इसको भी अंगीकृत किया जा सकता है. मुकदमेबाजी से बचकर जनता का हित में फैसला हो.
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