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वेश बदलने में मास्टर है हरीश विग लगा कर बदलता था हुलिया

जमशेदपुर : शातिर अपराधी हरीश सिंह वेश बदलने में माहिर है तथा हमेशा विग लगा कर हुलिया बदल लेता. इससे अक्सर वह पुलिस से बच जाता था. इससे पूर्व हरीश गाड़ी चोरी, आर्म्स एक्ट, रंगदारी समेत कई मामलों में जेल जा चुका है अौर जेल में रहने के दौरान उसकी निकटता पहले अमलेश सिंह फिर […]

जमशेदपुर : शातिर अपराधी हरीश सिंह वेश बदलने में माहिर है तथा हमेशा विग लगा कर हुलिया बदल लेता. इससे अक्सर वह पुलिस से बच जाता था. इससे पूर्व हरीश गाड़ी चोरी, आर्म्स एक्ट, रंगदारी समेत कई मामलों में जेल जा चुका है अौर जेल में रहने के दौरान उसकी निकटता पहले अमलेश सिंह फिर अखिलेश सिंह से हुई थी, जिसके बाद उसने कोर्ट परिसर स्थित बार भवन में उपेंद्र सिंह की हत्या की घटना को अंजाम दिलाया था.
वर्चस्व को लेकर कोर्ट परिसर में करायी गयी उपेंद्र सिंह की हत्या की मॉनीटरिंग हरीश सिंह कर रहा था. हरीश ने हत्या से एक दिन पहले अपराधी विनोद सिंह उर्फ मोगली, सोनू सिंह उर्फ विक्की, आदित्यपुर के शिवा रेड्डी, संजय सिंह और पंकज के साथ बर्मामाइंस में प्लान बनाया. प्लान बनाने के बाद हरीश ने हथियार विनोद और सोनू को सौंप दिया. इसके बाद 30 नवंबर 16 को सुबह से हरीश अन्य लोगों के साथ बर्मामाइंस में इकट्ठा हुआ.
वहां हरीश ने विनोद और सोनू को मोबाइल फोन दिया. मोबाइल से संपर्क करने और काम तमाम होने के बाद फोन फेंक देने की बात कही थी. इसके बाद सभी उपेंद्र सिंह के घर बागबेड़ा गये. वहां से पीछा करने लगे. बार भवन में घेरकर हत्या कर दी. हत्या के बाद विनोद और सोनू सिंह को अधिवक्ताओं ने पकड़कर बुरी तरह से पीटा था. घटना के दिन पुलिस ने घटना स्थल से अपराधियों की पिस्टल व गोली बरामद की थी.
दोस्ती के कारण अपराधी बना हरीश
जमशेदपुर :हरीश सिंह पूर्व में बाराद्वारी स्थित एक क्वार्टर में रहता था. उस दौरान उसकी दोस्ती हमउम्र गरमनाला के युवकों से थी. उस समय गरमनाला में साहेब सिंह के भांजे सोनू सिंह का वर्चस्व चल रहा था, जिसके बाद पंकज सिंह एवं उसके साथियों ने सिक्यूरिटी फ्लैट में सोनू सिंह को मौत के घाट उतार दिया था.
पंकज सिंह व साथियों के आपराधिक सक्रियता के कारण हरीश सिंह भी अपराध की दुनिया में चला आया अौर सबसे पहले बिष्टुपुर पुलिस ने चोरी की गाड़ी रखने के आरोप में उसे गिरफ्तार कर जेल भेजा था. जेल में उसकी दोस्ती विभाष पासवान के साथ हुई अौर वह अपराध में सक्रिय हो गया, जिसके बाद उसकी दोस्ती गया अौर हजारीबाग के कई अपराधियों से भी हुई. जेल से छूटने के बाद वह साकची बाजार में एक मटका संचालक के साथ काम करने लगा अौर मटका संचालक से अनबन होने पर फायरिंग की थी. विभाष पासवान के साथ दोस्ती के दौरान उसने साकची ठाकुरबाड़ी रोड के कई बड़े व्यापारियों से अखिलेश सिंह अौर अमलेश सिंह के नाम पर रंगदारी की मांग की थी.
रंगदारी के इस मामले में तलाश के दौरान पुलिस ने उसके आरा से लौटते समय बस से पारडीह काली मंदिर के पास हथियार के साथ गिरफ्तार कर जेल भेजा था. जेल में रहने के दौरान वह अखिलेश सिंह गिरोह के करीब आ गया अौर कन्हैया सिंह, सुधीर दुबे के बोलने पर पंकज सिंह तथा बर्मामाइंस के साथियों के साथ मिल कर उपेंद्र सिंह की हत्या की घटना को अंजाम दिया. उपेंद्र सिंह की हत्या के बाद भी वह कई दिनों तक शहर में तथा बिरसानगर क्षेत्र में घूमता रहा अौर पुलिस का दबाव बढ़ने पर भाग कर पटना में छुप कर रह रहा था, जहां से उसे गिरफ्तार किया गया.

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