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छात्रों को मांगने पर भी नहीं मिल रही है पुस्तकों की सूची

को-ऑपरेटिव कॉलेज के छात्र संघ अध्यक्ष ने कहा, लिखित अनुरोध पर नहीं मिली जानकारी कॉलेज प्रशासन को फिर भेजेंगे रिमाइंडर पत्र, छात्रों को नहीं मिल रहा किताबों का फायदा जमशेदपुर : कोल्हान विवि के अंगीभूत कॉलेजों में बड़े पैमाने पर हुई किताबों की खरीद में अनियमितता के मामले की शिकायत पिछले तीन साल से बेहद […]

को-ऑपरेटिव कॉलेज के छात्र संघ अध्यक्ष ने कहा, लिखित अनुरोध पर नहीं मिली जानकारी

कॉलेज प्रशासन को फिर भेजेंगे रिमाइंडर पत्र, छात्रों को नहीं मिल रहा किताबों का फायदा
जमशेदपुर : कोल्हान विवि के अंगीभूत कॉलेजों में बड़े पैमाने पर हुई किताबों की खरीद में अनियमितता के मामले की शिकायत पिछले तीन साल से बेहद गोपनीय तरीके से दबी पड़ी है. आलम यह है कि छात्रों की ओर से कॉलेजों के पुस्तकालय में मौजूद किताबों की सूची मांगने के बावजूद उपलब्ध नहीं करायी जा रही है. जमशेदपुर को-ऑपरेटिव कॉलेज के छात्रसंघ अध्यक्ष कमल अग्रवाल ने इस संबंध में कॉलेज प्रशासन को पत्र लिखा है. जानकारी नहीं देने पर फिर रिमाइंडर भेजने की घोषणा की है.
पुस्तक घोटाले में अपनी नौकरी गंवाने वाले जमशेदपुर को-ऑपरेटिव कॉलेज के तत्कालीन प्राचार्य डाॅ. आरके दास ने विवि को भेजे गये अपने पत्र में पूरे गोरखधंधे का खेल खोल कर रख दिया था. इसमें किताबों की आपूर्ति करने वाले सप्लायर दिनेश शर्मा के कारोबार और संबंध के बारे में भी विस्तार से उल्लेख किया गया था. तत्कालीन प्राचार्य ने विभिन्न कॉलेजों में संबंधित किताब सप्लायर के जरिए खरीदी गयी किताबों की राशि और प्रक्रिया का भी उल्लेख किया. इसमें साफ-साफ कहा गया था कि किन-किन कॉलेजों में बिना प्रक्रिया का पालन किये हुए संबंधित किताब सप्लायर की तरफ से पुस्तकों की आपूर्ति की गयी.
किताबों की खरीद के लिए हुई तत्कालीन पैरवी के बारे में भी पूर्व प्राचार्य ने जानकारी दी. पिछले तीन साल से पूरे मामले की जांच कराने की बजाय विवि प्रशासन चुप्पी साधे बैठा रहा. किताबों की खरीद में अनियमितता का आरोप लगाते हुए एक कॉलेज के प्राचार्य पर कार्रवाई की गयी. दूसरे आधे दर्जन लोगों को बेहद सफाई से बचा लिया गया. दावा तो यह भी किया जा रहा है कि दास का यह पत्र विवि से गायब हो गया है. जमशेदपुर वर्कर्स कॉलेज में हुई घटना के बाद एक बार फिर चर्चा के केंद्र में आये किताब सप्लायर दिनेश शर्मा के ऊपर तक पहुंच का साफ अंदाजा इस बात से लगाया जाता है.
तीन साल से किताब घोटाले के शिकायत वाली फाइल दबाये बैठा है केयू
दास पर कार्रवाई के बाद शर्मा ने कॉलेजों में 50 लाख से अधिक की किताबों सप्लाई की
झारखंड छात्र मोर्चा के केंद्रीय उपाध्यक्ष मो. सरफराज ने दावा किया कि कोल्हान विवि के कॉलेजों में किताब घोटाले की जड़ें बेहद गहरी हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि विभिन्न सूत्रों से उन्हें इस बात की जानकारी मिली है कि को-ऑपरेटिव कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आरके दास पर विवि प्रशासन की ओर से किताब घोटाले के मामले में की गयी कार्रवाई के बाद भी सप्लायर दिनेश शर्मा का धंधा जारी रहा. सप्लायर ने एजेंसी का नाम बदल कर विभिन्न कॉलेजों में 50 लाख रुपये से अधिक के कीमत की किताब आपूर्ति की. मांग रखी कि विवि प्रशासन विवि के केंद्रीय पुस्तकालय सहित सभी अंगीभूत कॉलेजों में पिछले दस साल में हुई किताबों की खरीद के मामले की जांच कराये. खर्च की गयी राशि का ऑडिट कराया जाये.
किताबों की खरीद में नियमों की अवहेलना से संबंधित सूचनाओं का विवि प्रशासन ने संज्ञान लिया है. हम अपने स्तर से इसकी पड़ताल करेंगे. जरूरत महसूस होने पर आवश्यक कदम उठाये जायेंगे. फिलहाल इससे अधिक कुछ नहीं कर सकते.
डॉ. एके झा, प्रवक्ता, कोल्हान विवि
लंबे समय से हम पुस्तकालय में मौजूद किताबों की सूची मांग रहे हैं. इस संबंध में आवश्यक जानकारी नहीं दी जा रही. हम इस मामले में कॉलेज को फिर रिमाइंडर लेटर लिख रहे हैं.
कमल अग्रवाल, छात्रसंघ अध्यक्ष, को-अॉपरेटिव कॉलेज
विवि प्रशासन को पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच करानी चाहिये. इस पूरे मामले में दोषी लोगों की पहचान कर कार्रवाई होनी चाहिये. अगर विवि जल्द कोई कदम नहीं उठाता तो संगठन छात्र हित में उग्र आंदोलन करेगा.
मो. सरफराज, केंद्रीय उपाध्यक्ष, जेसीएम

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