मेहरबाई अस्पताल व पूर्णिमा नेत्र चिकित्सालय में हुई जांच, चिकित्सकों ने कहा, यहां
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छह घंटे में तीन अस्पतालों में करायी जांच, सदर अस्पताल में किया भर्ती
मेहरबाई अस्पताल व पूर्णिमा नेत्र चिकित्सालय में हुई जांच, चिकित्सकों ने कहा, यहां इलाज नहीं जमशेदपुर : जिंदगी की जंग लड़ रही गोबरघुसी की काशीडीह टोला निवासी जोष्टी मांझी की साढ़े तीन साल की बच्ची मामोनी मांझी के आंखों के इलाज के लिए गुुरुवार को स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग सक्रिय हो गया. […]
इलाज नहीं
जमशेदपुर : जिंदगी की जंग लड़ रही गोबरघुसी की काशीडीह टोला निवासी जोष्टी मांझी की साढ़े तीन साल की बच्ची मामोनी मांझी के आंखों के इलाज के लिए गुुरुवार को स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग सक्रिय हो गया. दोपहर करीब 11 बजे खासमहल स्थित सिविल सर्जन कार्यालय पहुंचे पीड़ित परिवार की मदद में विभाग ने अपनी पूरी ऊर्जा झोंक दी. छह घंटे के अंदर-अंदर शहर के तीन अलग-अलग अस्पतालों में मासूम मामोनी के आंख की जांच कराई गयी. पूर्णिमा नेत्र चिकित्सालय, मेहरबाई कैंसर अस्पताल तथा सदर अस्पताल में अलग-अलग चिकित्सकों ने बच्ची के अांखों की जांच की. इसके बाद बच्ची का सदर अस्पताल में भर्ती कर लिया गया.
चिकित्सकों की सलाह पर विभाग ने इसे रिम्स भेजने का फैसला किया गया. बच्ची के इलाज पर आने वाल खर्च स्वास्थ्य विभाग वहन करेगा. चिकित्सकाें की मानें, तो बच्ची की जान बचाने के लिए आंख का ऑपरेशन करना पड़ेगा. चिकित्सक बीमारी का पैन यूवाइटिस मानकर चल रहे हैं. हालांकि बीमारी का पता पूरी जांच के बाद ही चल सकेगा. सिविल सर्जन डॉ महेश्वर प्रसाद ने इस मामले को बेहद गंभीरता से लेते हुए स्थानीय सहिया से रिपोर्ट तलब की है. अब तक की पड़ताल में यह बात पता चली है कि परिवार की लापरवाही के कारण बच्ची के आंखों की बीमारी ने विकराल रूप ले लिया है.
परिवार की मदद को स्थानीय लोग जुटा रहे राशि
मामोनी का परिवार आर्थिक रूप सेे बेहद कमजाेर है. पिता जोष्ठी मांझी मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण करते हैं. करीब एक साल पहले बच्ची की आंख लाल हुई. पानी गिरना शुरू हुआ. परिवार से इसके बेहतर इलाज पर ध्यान नहीं दिया. फिर झाड़ फूंक कर सहारा लिया. बीमारी बढ़ने पर इसे स्थानीय सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में दिखाया गया. अब स्वास्थ्य विभाग इस मामले को चुनौती के तौर पर ले रहा है. इस बीच पीड़ित परिवार को इलाज के दौरान होने वाले दूसरे खर्च के वहन के लिए स्थानीय लोग राशि एकत्र कर रहे हैं.
निश्चित तौर पर बच्ची की जान बचाने की हर संभव कोशिश की जायेगी. फिलहाल बच्ची को सदर अस्पताल में रखा गया है. इसे बेहतर इलाज के लिए रिम्स भेजा जायेगा. तीन अस्पतालों में इसकी जांच कराई गयी.
डॉ महेश्वर प्रसाद, सिविल सर्जन, पूर्वी सिंहभूम
विशेषज्ञ मान रहे यूवाइटिस का संक्रमित रूप
बच्ची का इलाज करने चिकित्सकों ने प्रारंभिक जांच के आधार पर इस बीमारी को यूवाइटिस का संक्रमित रूप मान रहे हैं. यूविया विशेष रूप से आंख के बीच की परत की सूजन को कहते हैं. यूवाइटिस को शारीरिक रूप से एंटीरियर (अग्रभाग), इंटरमीडिएट (मध्यभाग), पोस्टीरियर (पृष्ठ भाग) तथा पैनयूवाआइटिक (संपूर्ण यूविया) प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है. यह वर्गीकरण इस बात पर आधारित है कि आंख का कौन सा हिस्सा मुख्य रूप से सूजन से प्रभावित है. पैन यूवाइटिस, युविया की सभी परतों की सूजन को कहते हैं. इसके अंतर्गत आंख के अंदर बनने वाले ट्यूमर में कैंसर हाेने की आशंका व्यक्त की जा रही है. कुछ चिकित्सक इसे रेटिना ब्लास्टोमा मान रहे हैं.
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