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जिंदगी और मौत से लड़ रहे दो कुपोषित नौनिहाल

एमजीएम में इलाज नहीं, रिम्स ने कहा चार हफ्ते बाद आएं, नर्सों के सहारे दोनों बच्चे, दूध पिलाने तक नहीं आ रही मां राज्य में सबसे ज्यादा कुपोषित बच्चे पश्चिमी सिंहभूम में जमशेदपुर : पश्चिमी सिंहभूम के सोनुवा के माहीपीन गांव के निवासी डागो बोदरा के जुड़वा बच्चों की हालत स्थिर है. एमजीएम के एनआइसीयू […]

एमजीएम में इलाज नहीं, रिम्स ने कहा चार हफ्ते बाद आएं, नर्सों के सहारे दोनों बच्चे, दूध पिलाने तक नहीं आ रही मां

राज्य में सबसे ज्यादा कुपोषित बच्चे पश्चिमी सिंहभूम में
जमशेदपुर : पश्चिमी सिंहभूम के सोनुवा के माहीपीन गांव के निवासी डागो बोदरा के जुड़वा बच्चों की हालत स्थिर है. एमजीएम के एनआइसीयू वार्ड के बेड नंबर 13 पर दोनों का इलाज चल रहा है. दोनों का सिर काफी बड़ा है. शिशु रोग विभाग के अधीक्षक ने साफ कर दिया है कि अस्पताल में इन बच्चों के इलाज की सुविधा नहीं है. इन्हें बेहतर इलाज के लिए रिम्स के न्यूरो सर्जरी विभाग में भेजा जाये. वहीं दूसरी तरफ रिम्स की ओर से बच्चों के परिजन से साफ कहा गया है कि वह अगले चार हफ्ते से पहले इन बच्चों को लेकर अस्पताल नहीं आएं. दो बच्चों में से एक में पीलिया के लक्षण दिखाई दे रहे हैं.
एमजीएम अस्पताल के प्रभारी अधीक्षक डॉ. ललित कुमार ने बताया कि एमजीएम अस्पताल में न्यूरो सर्जन नहीं है. फिलहाल बच्चों की मां सुरड़ी बोदरा को इलाज एमजीएम के स्त्री रोग विभाग में चल रहा है. एनआइसीयू वार्ड में तैनात नर्स ने बताया कि मां इन बच्चों को दूध तक नहीं पिला रही. कुपोषण में कोल्हान के हालत
जिला ठिगनापन अंडरवेट
प. सिंहभूम 59.41 66.85
पूर्वी सिंहभूम 39.34 49.80
सरायकेला 45.11 52.58
पश्चिमी सिंहभूम में कुपोषण से लड़ाई के लिए विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही हैं. जागरूकता की कमी के कारण अब तक ऐसे हालात बने हुए थे. इसमें तेजी से सुधार हो रहा.
अरवा राजकमल, उपायुक्त, पश्चिमी सिंहभूम
हफ्ते में दो दिन ही दो वक्त का मिलता था भोजन
कुपोषण के बारे में परिजन ने बताया कि सुरड़ी बोदरा को गर्भावस्था में हफ्ते में दो दिन ही किसी तरह दो वक्त का भोजन मिल पाता था. परिवार की आर्थिक स्थिति काफी खराब है. यह स्थिति तब है, जब कुपोषण को लेकर पश्चिमी सिंहभूम का स्वास्थ्य महकमा युद्ध स्तर पर पहल का दावा कर रहा है.
पश्चिमी सिंहभूम का हाल सबसे खराब
नीति आयोग द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार राज्य में कुपोषण की वजह से बच्चों की सर्वाधिक बुरी स्थिति पश्चिमी सिंहभूम में है. इस जिले में कुपोषण की वजह से पांच साल तक उम्र के बच्चों में 59.41 फीसदी नाटेपन के शिकार हैं. साथ ही 66.85 फीसदी बच्चे कुपोषण की वजह से अंडरवेट हैं.

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