50 से अधिक प्रतिनिधियों ने कार्यक्रम में लिया हिस्सा,
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ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को मिला बढ़ावा : मुरारका
50 से अधिक प्रतिनिधियों ने कार्यक्रम में लिया हिस्सा, जमशेदपुर : कॉरपोरेट गवर्नेंस स्टैंडर्ड को मजबूत बनाने के लिए कंपनी कानून में संशोधन के बिल को मंजूरी दी गयी है. इस बिल में डिफॉल्टिंग कंपनियों पर सख्त कार्रवाई करने के साथ-साथ देश में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में सुधार में मदद मिलेगी. बिल के माध्यम […]
जमशेदपुर : कॉरपोरेट गवर्नेंस स्टैंडर्ड को मजबूत बनाने के लिए कंपनी कानून में संशोधन के बिल को मंजूरी दी गयी है. इस बिल में डिफॉल्टिंग कंपनियों पर सख्त कार्रवाई करने के साथ-साथ देश में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में सुधार में मदद मिलेगी. बिल के माध्यम से कंपनीज एक्ट, 2013 में 40 से ज्यादा संशोधन किये गये हैं. शनिवार को भारतीय कंपनी सचिव संस्थान के जमशेदपुर चैप्टर की ओर से आइएसडब्ल्यूपी सभागार में आयोजित संगोष्ठी के दौरान सीएस सिद्धार्थ मुरारका ने उक्त बातें कहीं. संगोष्ठी का आयोजन कंपनीज अमेंडमेंट बिल 2017 व एनसीएलटी के विषय पर चर्चा के लिए किया गया. उन्होंने कहा कि नये कानून से एक तरफ जहां ईमानदार औद्योगिक इकाइयों को फायदा हुआ है. वहीं प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों को भी इसका लाभ मिल रहा है.
संगोष्ठी का उद्घाटन सीएस सिद्धार्थ मुरारका तथा संगठन के जमशेदपुर चैप्टर सीएस रवि नारायण कर की ओर से किया गया. उन्होंने राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण एनसीएलटी के गठन के उद्देश्य एवं कार्य प्रणाली पर प्रकाश डाला. बताया गया कि अपने गठन के 18 महीने के अंदर संगठन ने अब तक इसकी विभिन्न पीठों में दिवाला शोधन के लिए 4300 से अधिक मामले दायर किये जा चुके हैं. कार्यक्रम को कोलकाता से अाये सीएस अभिजीत नेगी ने संबोधित किया.
दो सत्र में आयोजित हुआ सेमिनार
भारतीय कंपनी सचिव संस्थान की ओर से आयोजित संगोष्ठी दो सत्र में संपन्न हुई. पहले सत्र में कंपनी कानून में संशोधन तथा दूसरे सत्र में एनसीएलटी के गठन के बारे में चर्चा हुई. इस सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए 50 से अधिक प्रतिनिधि पहुंचे. इस दौरान जानकारी दी गयी कि रिजर्व बैंक द्वारा दिसंबर में जारी सप्ताहांत रिपोर्ट में पता चला है कि नवंबर 2017 तक एनसीएलटी की विभिन्न पीठों में कॉरपोरेट दिवाला शोधन प्रक्रिया के तहत 4300 आवेदन दायर किये जा चुके हैं. इनमें से 500 से अधिक आवेदन या तो खारिज कर दिये गये या वापस ले लिये गये.
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