गम्हरिया: रविवार की रात 30 हाथियों के झुंड ने हरिसुंदरपुर व लेदमाडीह गांव में जमकर उत्पात मचाया. इस दौरान झुंड ने चार घरों को भी क्षतिग्रस्त कर दिया. उक्त घटना में गांव के तीन छोटे बच्चे घर की दीवार में दब कर घायल हो गये. हाथियों ने घर में रखे अनाज व घरेलू सामग्री भी […]
गम्हरिया: रविवार की रात 30 हाथियों के झुंड ने हरिसुंदरपुर व लेदमाडीह गांव में जमकर उत्पात मचाया. इस दौरान झुंड ने चार घरों को भी क्षतिग्रस्त कर दिया. उक्त घटना में गांव के तीन छोटे बच्चे घर की दीवार में दब कर घायल हो गये. हाथियों ने घर में रखे अनाज व घरेलू सामग्री भी क्षतिग्रस्त कर दी. घटना की सूचना पाकर जुटे ग्रामीणों द्वारा तीनों बच्चों को मलबे से सुरक्षित बाहर निकाला गया.
हाथियों के लगातार उत्पात और उनके द्वारा किये जा रहे नुकसान से आक्रोशित सैकड़ों ग्रामीण ने सोमवार सुबह कांड्रा स्थित वन विभाग कार्यालय पहुंच कर प्रदर्शन किया. इस दौरान ग्रामीणों द्वारा विभाग के खिलाफ नारेबाजी करते हुए सुरक्षा मुहैया कराने की मांग की गयी.
मौके पर पहुंचे वनपाल दिलीप मिश्रा का घेराव करते हुए उन्हें अपने साथ गांव ले गये. इसके बाद पूरे क्षेत्र में उन्हें पैदल घुमाकर पीड़ित परिवारों के घर ले जाया गया.
दिनभर डरे रहे ग्रामीण
जहां रविवार रात भर हाथियों के आतंक से ग्रामीणों में दहशत का माहौल बना रहा. वहीं सोमवार को दिनभर हाथियों का झुंड चंपानगर स्थित मैदान में डटा रहा. गांव के समीप ही सड़क किनारे हाथियों के झुंड के जुटे रहने से दिनभर ग्रामीण भयभीत रहे. वहीं रापचा-बड़ामारी-सालमपातर मार्ग में दिनभर राहगीरों का आवागमन बंद रहा. इससे लोगों को परेशानी हुई.
पीड़ित परिवार को सामग्री देने के बाद ग्रामीण शांत हुए
वनपाल दिलीप मिश्रा ने कागजी प्रक्रिया पूरी करते हुए क्षतिपूर्ति दिलाने का आश्वासन दिया, लेकिन ग्रामीण आश्वासन पर मानने को तैयार नहीं हुए. इसके पश्चात मुखिया सुकमति मार्डी के हस्तक्षेप पर श्री मिश्रा द्वारा निजी स्तर पर पीड़ित मंगल मार्डी को खाद्य सामग्री, घरेलू उपयोगी सामान व बर्तन उपलब्ध कराये जाने के बाद ग्रामीण शांत हुए. विदित हो कि दस दिसंबर को भी क्षतिपूर्ति की मांग को लेकर रेघाडीह गांव के ग्रामीणों द्वारा वनपाल समेत पूरी टीम को चार घंटे तक बंधक बनाकर रखा गया था. उस समय भी निजी स्तर पर तत्काल क्षतिपूर्ति दिये जाने के बाद पदाधिकारियों को रिहा किया गया था.