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उप-स्वास्थ्य केंद्रों में सिर्फ कागज पर ही िदखता है प्रसव

जमशेदपुर/पटमदा : जुलाई-सितंबर माह में एमजीएम अस्पताल में हुई नवजातों की मौत के आंकड़े ने पूर्वी सिंहभूम को राष्ट्रीय सुर्खियों में ला दिया था. अंतत: कुछ सुविधाएं बढ़ाकर, कुछ संसाधनों का रोना रोकर और कुछ अत्यधिक नाजुक मामलों का हवाला देकर कागजी लीपापोती कर दी गयी. नवंबर माह की शुरुआत में जिले के स्वास्थ्य सुविधाओं […]

जमशेदपुर/पटमदा : जुलाई-सितंबर माह में एमजीएम अस्पताल में हुई नवजातों की मौत के आंकड़े ने पूर्वी सिंहभूम को राष्ट्रीय सुर्खियों में ला दिया था. अंतत: कुछ सुविधाएं बढ़ाकर, कुछ संसाधनों का रोना रोकर और कुछ अत्यधिक नाजुक मामलों का हवाला देकर कागजी लीपापोती कर दी गयी. नवंबर माह की शुरुआत में जिले के स्वास्थ्य सुविधाओं का जायजा लेने नयी दिल्ली व रांची से आयी 18 सदस्यीय कॉमन रिव्यू मिशन की टीम को जिले में उप स्वास्थ्य केंद्रों में प्रसव की संख्या का आंकड़ा सौंपा गया.

इस आंकड़े के अनुसार, जिले में वर्तमान में करीब 107 उप स्वास्थ्य केंद्र कार्यरत हैं और एकाध को छोड़कर इन सबमें प्रसव कराये जाते हैं. इस आंकड़े के अनुसार, इस वर्ष छह माह (अप्रैल से सितंबर) में इन स्वास्थ्य केंद्रों में 1762 प्रसव कराये गये हैं. इन आंकड़ों की हकीकत जानने के लिए प्रभात खबर की टीम ने जुगसलाई सह गाेलमुरी, पटमदा और बोड़ाम के हर उप स्वास्थ्य केंद्र का जायजा लिया. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार इन तीन प्रखंडों में 28 उप

स्वास्थ्य केंद्रों में प्रसव की सुविधा है, जहां छह महीने में 667 प्रसव कराये गये. लेकिन प्रभात खबर द्वारा की गयी पड़ताल के अनुसार, जुगसलाई सह गोलमुरी प्रखंड के कीताडीह, सुंदरनगर, सरजामदा और पटमदा प्रखंड के पगदा उप-स्वास्थ्य केंद्र यानी चार एचएससी को छोड़कर बाकी के 24 उप स्वास्थ्य केंद्रों में प्रसव हो ही नहीं रहे हैं. इनमें से आधे एचएससी या तो बंद हैं, जो कभी-कभी या कभी नहीं खुलते, और आधे एसएचसी में प्रसव कराने की पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध नहीं है. कई को भाड़े के मकान में चलाया जा रहा है, Â बाकी पेज 15 पर
तो कई जगह पानी व बिजली तक की व्यवस्था नहीं है. प्रसव केंद्र के नाम पर बस एक बेड व प्रसव टेबल के अलावा कुछ नहीं है. ग्रामीणों का कहना है कि समय पर केंद्र खुल जाये यही बहुत है, प्रसव तो दूर की बात है. जाहिर है स्वास्थ्य विभाग में इन उप स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रसव के जो आंकड़े दर्ज हैं, वे प्रसव या तो नजदीक के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र या फिर एमजीएम, सदर अस्पताल या निजी अस्पतालों में कराये गये हैं. इन्हें बाद में उप स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत नर्स या एएनएम द्वारा तैयार की गयी रिपोर्ट में शामिल कर विभाग को भेज दिया गया, जिसे विभाग ने कॉमन रिव्यू मिशन की टीम के सामने प्रस्तुत कर दिया.
ऐसा नहीं है कि स्वास्थ्य विभाग या सिविल सर्जन कार्यालय को हकीकत का अंदाजा नहीं है, लेकिन अपना चेहरा बचाने के चक्कर में उप स्वास्थ्य केंद्रों में कागज पर कराये जा रहे प्रसव की रिपोर्ट को प्रस्तुत कर केंद्रीय टीम को बरगलाने की कोशिश की गयी. जिले के अन्य प्रखंडों के उप स्वास्थ्य केंद्रों का भी हाल कमोबेश यही है.
24 घंटा खुला रखने का आदेश
जिन उप स्वास्थ्य केंद्रों में प्रसव की सुविधा उपलब्ध है, उन्हें रोज 24 घंटे खोले रखने का आदेश है. उप स्वास्थ्य केंद्र में तैनात नर्सों ने बताया कि सुबह 10 बजे इसे खोलते हैं और एक बजे तक बंद कर दिया जाता है. उनका कहना है कि वे अकेली हैं, जबकि एक सेंटर में दो नर्स व एक सहायक स्टाफ होना जरूरी है. इसके साथ ही सप्ताह में एक दिन डॉक्टर को आकर बैठना है, लेकिन वे कभी नहीं आते हैं. अकेले रहने के कारण नर्सें चली जाती हैं. एचएससी में रहने के दौरान अगर कोई प्रसव कराने के लिए आता है तो उनका प्रसव कराया जाता है, नहीं तो ग्रामीण दूसरी जगह प्रसव कराने चले जाते हैं.
उप स्वास्थ्य केंद्र में क्या होनी चाहिए सुविधा
किसी भी उप स्वास्थ्य केंद्र में ओपीडी, प्रसव, गर्भवती की जांच, प्रसव होने के बाद की जांच, नवजात की जांच व टीकाकरण की सुविधा होनी चाहिए.

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