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कोल्हान विवि : किताब छपी ही नहीं पाठ्यक्रम में कर दी गयी अनुशंसा

जमशेदपुर/चाईबासा : कोल्हान विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग ने पाठ्यक्रम में ऐसी पुस्तक की अनुशंसा की है जिसका अभी तक प्रकाशन ही नहीं हुआ है. ऐसे में विद्यार्थी पुस्तक लायेंगे कहां से और पाठ्यक्रम की पढ़ाई कैसे होगी यह सवाल उठने लगे हैं. जानकारी के मुताबिक च्वाइस बेस क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) के तहत विवि की ओर […]

जमशेदपुर/चाईबासा : कोल्हान विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग ने पाठ्यक्रम में ऐसी पुस्तक की अनुशंसा की है जिसका अभी तक प्रकाशन ही नहीं हुआ है. ऐसे में विद्यार्थी पुस्तक लायेंगे कहां से और पाठ्यक्रम की पढ़ाई कैसे होगी यह सवाल उठने लगे हैं.

जानकारी के मुताबिक च्वाइस बेस क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) के तहत विवि की ओर से स्नातक से लेकर स्नातकोत्तर तक नया पाठ्यक्रम लागू किया गया है. इसमें स्नातक द्वितीय सेमेस्टर हिंदी प्रतिष्ठा प्रश्न पत्र के अंतर्गत ‘हिन्दी काव्यधारा’ नाम की पुस्तक की अनुशंसा की गयी है. पाठ्यक्रम तैयार करने वाली कमेटी के अनुसार इस नाम से पुस्तक का प्रकाशन कोल्हान विवि के हिन्दी विभाग की ओर से किया गया है. हकीकत यह है कि विवि की ओर से अब तक इस नाम से किसी पुस्तक का प्रकाशन नहीं किया गया है.

स्नातक द्वितीय वर्ष चतुर्थ सेमेस्टर में प्रतिष्ठा कोर्स के अंतर्गत ‘हिन्दी गद्यधारा’ नाम की पुस्तक की अनुशंसा की गयी है. विवि के दस्तावेज के अनुसार इन पुस्तक का प्रकाशन भी कोल्हान विवि के स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग की ओर से किया गया है. जबकि हकीकत यह है कि इस किताब का भी प्रकाशन अब तक नहीं हुआ है. स्नातक तृतीय सेमेस्टर में
भी कोल्हान विवि के हिन्दी विभाग की ओर से प्रकाशित हिंदी काव्य धारा तथा स्नातकोत्तर द्वितीय वर्ष में हिंदी कथा धारा की अनुशंसा की गयी है. इन पुस्तकों के नाम के आगे प्रकाशन का नाम तक नहीं लिखा गया है.

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