उन्होंने बताया कि यौन शोषण के शिकार बच्चों का सिर्फ इलाज ही न करें बल्कि उनमें आत्म विश्वास को वापस लाने के लिए भी डॉक्टरों को काम करना चाहिए. यौन शोषण के शिकार बच्चे शारीरिक जख्म के साथ मानसिक रूप से भी बीमार हो जाते हैं.
ऐसे बच्चों के इलाज व ऑपरेशन के बाद डॉक्टर मनोचिकित्सक के साथ स्थानीय स्वयंसेवी संस्था व चाइल्ड हेल्प डेस्क से भी सहयोग ले सकते है. इसके पहले सेमिनार का उदघाटन डॉ बीआर मास्टर, अध्यक्ष डॉ राजकुमार अग्रवाल, सचिव डॉ अखौरी मिंटू सिन्हा ने संयुक्त रूप से किया. इस दौरान डॉ जॉय भादुड़ी, डॉ मिथलेश, डॉ लुकटुके, डॉ हेंब्रम सहित अन्य लोग उपस्थित थे.