उनलोगों को बस यही जानकारी थी कि चयनिका मिर्जा के साथ अस्पताल में काम करती है और वह वर्तमान में कोलकाता में ही रहती है. हालांकि चयनिका के बारे परिवार के लोगों को काफी जानकारी थी, लेकिन वह जमशेदपुर शिफ्ट कर गयी है, इसके बारे में जानकारी अभी मिली है. इससे पूर्व मिर्जा कई बार छुट्टी लेकर बाहर जाया करता था, लेकिन हरर ट्रिप को हॉस्पिटल का काम बताता था. इसलिए ज्यादा पूछताछ नहीं की जाती थी. डॉ मिर्जा के पिता रवीउल हक और चाचा रविवार को कोलकाता से इस्पात एक्सप्रेस से टाटानगर पहुंचे और फिर बागबेड़ा थाना जाकर घटना के बारे में पूरी जानकारी ली. इसके बाद दोनों लोग डॉ मिर्जा से मिलने घाघीडीह जेल गये.
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चयनिका हत्याकांड: शक ने हंसते-खेलते दो परिवारों को कर दिया तबाह, डॉ मिर्जा के पिता ने कहा चयनिका के प्यार ने मिर्जा को बना दिया हत्यारा
तीन साल तक चयनिका व डॉ मिर्जा काफी करीब रहे. दोनों ने लंबा समय साथ गुजारा पर चयनिका को लेकर डॉ मिर्जा के मन में उत्पन्न एक शक ने दो हंसते-खेलते परिवारों को तबाह कर दिया. माता-पिता की इकलौती संतान चयनिका की मौत के बाद एक परिवार पूरी तरह बिखर गया है, तो डॉ मिर्जा […]
तीन साल तक चयनिका व डॉ मिर्जा काफी करीब रहे. दोनों ने लंबा समय साथ गुजारा पर चयनिका को लेकर डॉ मिर्जा के मन में उत्पन्न एक शक ने दो हंसते-खेलते परिवारों को तबाह कर दिया. माता-पिता की इकलौती संतान चयनिका की मौत के बाद एक परिवार पूरी तरह बिखर गया है, तो डॉ मिर्जा का परिवार भी इस अनचाही घटना से हतप्रभ है.
जमशेदपुर: आदित्यपुर मेडिट्रिना हॉस्पिटल की ऑपरेशन हेड चयनिका कुमारी की होटल जिंजर में शुक्रवार को हुई हत्या के बाद बरामद चयनिका के कुछ सामान को पुलिस ने रविवार को उसके पिता अरुण कुमार को बागबेड़ा थाना बुला कर सौंप दिया. सामानों में चयनिका का ड्राइविंग लाइसेंस, एटीएम कार्ड और कुछ मेक-अप के सामान थे.
रविवार को थाना पहुंचे चयनिका के पिता ने पुलिस से आरोपी डा. मिर्जा के बारे में जानकारी ली तथा उसकी हत्या के सही कारणों के बारे में पूछा. बागबेड़ा थाना प्रभारी की बातें सुन चयनिका के पिता फफक-फफक कर रोने लगे. मौके पर मौजूद मेडिट्रिना अस्पताल के हेड अमिताभ चटर्जी और अस्पताल के कर्मचारियों ने उन्हें ढांढ़स बंधाया तथा उनको थाना से घर ले गये. बागबेड़ा पुलिस ने अरुण कुमार को बताया कि चयनिका के कई सामान कोर्ट में जमा कराये गये हैं जो अनुसंधान के दौरान काम आयेंगे.
अस्पताल प्रबंधन ने चयनिका के कूरियर को अलमीरा से निकाला बाहर. चयनिका के अंतिम संस्कार के पूर्व उसके कार्यालय के अलमीरा में जितने भी कूरियर के पैकेट थे, उसे बाहर निकाला गया. अलमीरा कुर्ती, शूट के अलावे कुछ खाली रैपर भी रखे हुए थे. सभी कूरियर के पैकेट पर मिर्जा रफीक हक का ही पता और फोन नंबर लिखा हुआ था. अस्पताल के हेड अमिताभ चटर्जी ने बताया कि चयनिका मेडिट्रिना अस्पताल की सबसे ज्यादा काम करने वाली स्टाफ थी. अस्पताल प्रबंधन की ओर से सोमवार को शोकसभा का भी आयोजन किया जायेगा.
बेटी का शव देख मां हुई बेहोश, अरुण कुमार ने कहा आरोपी डॉक्टर को कड़ी से कड़ी सजा दिलवायें
पिता ने दी मुखाग्नि
चयनिका के शव को पोस्टमार्टम के बाद उसके आवास कदमा मारिया अपार्टमेंट नहीं लाया गया. पोस्टमार्टम हाउस के बाद उसे सीधे स्वर्णरेखा बर्निंग घाट पर लाया गया. जहां उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया. चयनिका के पिता अरुण कुमार ने मुखाग्नि दी. चयनिका की मां अनीता रानी को भी बर्निंग घाट पर ही अंतिम दर्शन के लिए बुलाया गया. बेटी का शव देख उसकी मां बेहोश हो गयी. थोड़ी देर बाद उन्हें होश आया. बर्निंग घाट पर माहौल काफी गमगीन था. परिजनों के साथ-साथ चयनिका के परिचित भी बर्निंग घाट पर पहुंचे थे.
आरोपी डॉक्टर को कड़ी से कड़ी सजा दिलवायें : पिता. चयनिका के पिता अरुण कुमार ने बागबेड़ा थाना प्रभारी को कहा कि चयनिका हमारी इकलौती संतान थी. उसके हत्यारे को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए ताकि ऐसी घटना से समाज को सबक मिले. श्री कुमार ने बताया कि डाॅ. मिर्जा के बारे में उन्हें पहले से कोई जानकारी नहीं थी. लेकिन उसने उसकी बेटी के साथ जो किया है वह कतई माफ करने योग्य नहीं है.
थाना प्रभारी ने आश्वासन दिलाया कि मामले को कोर्ट में भेज दिया गया है. पुलिस ने अपने ओर से पूरा काम कर दिया है. कोर्ट से न्याय अवश्य मिलेगा.
आरोपी को देख चयनिका के परिजनों का फूटा गुस्सा
आरोपी डाॅ. मिर्जा को शनिवार की रात को ही जेल भेज दिया गया. जेल जाने के पूर्व पुलिस ने चयनिका के पिता और उसके परिवार के लोगों को डॉ मिर्जा का चेहरा दिखाया और कहा कि इसी ने चयनिका की हत्या की है. पुलिस की बात सुनते ही चयनिका के परिजन आक्रोश में आ गये और डॉ मिर्जा को मारने के लिए उसकी ओर दौड़े. लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक लिया. उसके बाद पुलिस उसे लेकर वहां से चली गयी. पेपर वर्क पूरा करने के बाद डाॅ. मिर्जा को जेल भेज दिया गया.
घटना के दिन चयनिका ने नहीं खाया था दोपहर का खाना
जमशेदपुर. चयनिका की जिस दिन हत्या की गयी थी. उस दिन उसने दोपहर का खाना नहीं खायी थी. पुलिस सूत्रों ने बताया कि पोस्टमार्टम के दौरान इस बात की जानकारी मिली है कि उसका पेट पूरा तरह से खाली थी. नानी की निधन होने के कारण वह घर से भी बिना खाना खाये ही निकल गयी थी. दोपहर तक जिंजर होटल के कमरा नंंबर 201 में रहने के बाद भी चयनिका ने खाना नहीं खाया था, हालांकि अब तक पोस्टमार्टम विभाग की ओर से रिपोर्ट पुलिस को सौंपी नहीं गयी है.
कोलकाता से पहुंचे डॉ मिर्जा के पिता रविउल हक ने कहा चयनिका के प्यार ने मिर्जा को बना दिया हत्यारा
जमशेदपुर. आदित्यपुर के मेडिट्रिना अस्पताल में बतौर ऑपरेशन हेड काम कर रही चयनिका कुमारी के प्रेम में मेरा बेटा डॉ मिर्जा रफीक हक पागल हो गया था. उसके प्यार में इतना पागल हो गया था कि वह हत्यारा बन गया. उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि ऐसा दिन देखना पड़ेगा. मिर्जा हर वक्त चयनिका के बारे में सोचता था. उसको पाने को लेकर वह इतना परेशान हो गया था कि पूरे परिवार के लोगों को चयनिका और मिर्जा के प्रेम-प्रसंग में जानकारी मिल गयी थी. उक्त बातें डॉ मिर्जा के पिता रिटायर्ड रेलकर्मी रवीउल हक ने बातचीत के दौरान कही. रवीउल हक ने बताया कि चयनिका के जमशेदपुर में रहने के बारे में उनलोगों को कोई जानकारी नहीं थी.
उनलोगों को बस यही जानकारी थी कि चयनिका मिर्जा के साथ अस्पताल में काम करती है और वह वर्तमान में कोलकाता में ही रहती है. हालांकि चयनिका के बारे परिवार के लोगों को काफी जानकारी थी, लेकिन वह जमशेदपुर शिफ्ट कर गयी है, इसके बारे में जानकारी अभी मिली है. इससे पूर्व मिर्जा कई बार छुट्टी लेकर बाहर जाया करता था, लेकिन हरर ट्रिप को हॉस्पिटल का काम बताता था. इसलिए ज्यादा पूछताछ नहीं की जाती थी. डॉ मिर्जा के पिता रवीउल हक और चाचा रविवार को कोलकाता से इस्पात एक्सप्रेस से टाटानगर पहुंचे और फिर बागबेड़ा थाना जाकर घटना के बारे में पूरी जानकारी ली. इसके बाद दोनों लोग डॉ मिर्जा से मिलने घाघीडीह जेल गये.
वेतन से एक रुपया भी घर में नहीं किया खर्च. रवीउल हक ने बताया कि मिर्जा जब से नौकरी कर रहा है. उस समय से आजतक एक भी रुपया अपने घर पर खर्च नहीं किया. न ही हमलोगों ने उससे एक रुपया की भी मांग की. रवीउन ने बताया कि मिर्जा का वेतन करीब 75 हजार रुपये था. उन्होंने बताया कि वह पूरे रुपये को कहां खर्च करता था, इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है. हमलोग उसके पैसे के बारे में कोई जानकारी भी नहीं प्राप्त करते थे. वह अपनी मर्जी से रुपये खर्च करता था.
जेल जाने से पहले पिता को किया फोन
जेल जाने से पूर्व आरोपी डॉ. मिर्जा ने अपने पिता से बात करने की इच्छा जतायी. बागबेड़ा पुलिस ने फोन का नंबर डायल कर उसे दिया. फोन पर डॉ मिर्जा ने घटना के बारे में पूरी जानकारी दी. उसने बताया कि वह जमशेदपुर के जेल में बंद होने जा रहा है. उसने एक लड़की की हत्या कर दी है. इस दौरान वह रो-रोकर अपने पिता से घटना के बारे में बता रहा था. थोड़ी देर तक फोन करने के बाद पुलिस ने उससे फोन ले लिया. जिसके बाद उसे जेल भेज दिया गया.
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