जमशेदपुर: साहित्यकार और चिंतक नंदकुमार उन्मन को मंगलवार को अंतिम विदाई दी गयी. बिष्टुपुर स्थित पार्वती घाट पर दोपहर करीब सवा बारह बजे जेष्ठ पुत्र आलोक कुमार ने उन्हें मुखाग्नि दी. इस दौरान गुड्डू कुमार व परिवार के अन्य सदस्य मौजूद रहे. अंतिम यात्रा में शहरभर के लोग शामिल हुए.
जिनमें कथाकार जयनंदन, साहित्यकार डॉ सी भास्कर राव, हरिबल्लभ सिंह आरसी, डॉ आशुतोष कुमार झा, श्यामल सुमन, अरविंद विद्रोही, सरोज कुमार सिंह मधुप, राजदेव सिन्हा, वरुण प्रभात, जवाहर लाल शर्मा, उदय प्रताप हयात, एचएन राम, गोपाल प्रसाद (बोकारो), डॉ अशोक अविचल, श्यामलाल पांडेय, रामनिवास, अशोक शुभदर्शी, विक्रमा सिंह देहदुब्बर, उमेश चतुर्वेदी, चंद्रकांत, शैलेंद्र पांडेय शैल, डॉ संध्या सिन्हा, सुजय भट्टाचार्य, गंगा प्रसाद अरुण, मनोकामना सिंह अजय, डॉ सुभाष गुप्ता, अमित राय, शैलेंद्र अस्थाना, बसंत प्रसाद, मनोज कुमार, रवींद्र नाथ चौबे, दिनेश्वर प्रसाद दिनेश, चंदना बनर्जी, लीली दास, समर महतो, विष्णु गिरी, शशि कुमार, मुकेश रंजन, रवींद्र कुमार, पल्लव विश्वास व अन्य शामिल थे.
दी गयी श्रद्धांजलि. आदित्यपुर साहित्यकार संघ की ओर से शोकसभा आयोजित कर नंदकुमार उन्मन को श्रद्धांजलि दी गयी. संघ की उपाध्यक्ष पद्मा मिश्रा ने कहा कि उन्मन जीवंत व्यक्तित्व के धनी थे. संघ के सचिव डॉ मनोज आजिज ने कहा कि उन्मन दूसरों को मुग्ध होकर सुनते थे. शालीनता से सलाह देते थे. सभा में उनकी दो कविताएं पढ़ी भी गयीं. भोला झा, रंजन पाठक, मीरा झा सहित अन्य साहित्यकारों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी.
मर कर भी जीनेवालों के साथ रहेंगे उन्मन- देखें लाइफ@जमशेदपुर.
एक व्यक्ति के रूप में उन्मन सहज, सरल, सबके प्रति स्नेह और सम्मान का भाव रखने वाले थे. एक रचनाकार के रूप में वे अपने समय और समाज के प्रति संवेदनशील और प्रतिबद्ध थे. अंत तक जनवादी लेखक संघ के समर्थ अध्यक्ष रहे. इस नगर में यदि जलेस सक्रिय और जीवंत बना रहा तो इसका बहुत कुछ श्रेय उन्हें भी जाता है.
सी भास्कर राव, कथाकार
व्यक्ति और कवि दोनों रूपों में उन्मन आत्मविश्वासी थे. उन्होंने कभी अपने सिद्धांत से समझौता नहीं किया. मंच की कविता हो, पत्रिका या गोष्ठी की हर जगह उन्होंने अपने मन की ही की. मुझे उनका कविता संग्रह सुनो कथावाचक की समीक्षा लिखने का मौका मिला. जमशेदपुर की कविता सजग हो रही थी. इसलिए इस समय उनका जाना ठीक नहीं है.
डॉ शांति सुमन, कवयित्री
उन्मन का जाना शहर के लिए बड़ी क्षति है. उन्होंने बहुतों को लिखने-पढ़ने के लिए तैयार किया.
विजय शर्मा, कथाकार
पत्रिका चिंतन शैली के लिए जब पहली बार उन्होंने मुझसे कहानी मांगी थी तो उनके आग्रह की विनम्रता ने मुझे हमेशा के लिए अपना मुरीद बना लिया.
कमल, कथाकार