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आरटीआइ में सामने आयी शोभापुर-नागाडीह हत्याकांड अौर धातकीडीह- मानगो उपद्रव की जांच रिपोर्ट, मुसलिम एकता मंच को हुई थी Rs 32 लाख की फंडिंग

जमशेदपुर: विगत 20 मई को मानगो में हुए उपद्रव के मामले में दोषी चिह्नित किये गये मुसलिम एकता मंच द्वारा 32 लाख रुपये फंड के रूप में जमा किये गये थे. यह जानकारी आरटीआइ के तहत हासिल की गयी तत्कालीन आयुक्त और डीआइजी की संयुक्त जांच रिपोर्ट में सामने आयी है. शोभापुर (राजनगर) तथा नागाडीह […]

जमशेदपुर: विगत 20 मई को मानगो में हुए उपद्रव के मामले में दोषी चिह्नित किये गये मुसलिम एकता मंच द्वारा 32 लाख रुपये फंड के रूप में जमा किये गये थे. यह जानकारी आरटीआइ के तहत हासिल की गयी तत्कालीन आयुक्त और डीआइजी की संयुक्त जांच रिपोर्ट में सामने आयी है.
शोभापुर (राजनगर) तथा नागाडीह (जमशेदपुर) में चार-चार लोगों की हत्या तथा धातकीडीह अौर मानगो में उपद्रव की जांच के बाद तत्कालीन कोल्हान आयुक्त डॉ प्रदीप कुमार एवं डीआइजी प्रभात कुमार ने 6 जून को संयुक्त जांच रिपोर्ट सौंपी थी. आरटीआइ कार्यकर्ता दिनेश महतो ने सूचना के अधिकार के तहत उक्त जांच रिपोर्ट की प्रति निकलवायी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि मुसलिम एकता मंच के संरक्षक बाबर खान का भाई अजमल खान सऊदी अरब में रहता है तथा अपुष्ट खबरों के अनुसार 32 लाख रुपये कलेक्ट किये गये थे. हालांकि, जांच रिपोर्ट में इस पर अौर अनुसंधान की आवश्यकता बतायी गयी है.
जांच रिपोर्ट में मुसलिम एकता मंच की तमाम बैठकों की तिथिवार जानकारी अौर सदस्यों की सूची भी दी गयी है. इसमें कहा गया है कि सोची-समझी साजिश के तहत घटना के दो माह पूर्व मंच का गठन किया गया तथा उसके संरक्षक फिरोज खान, बाबर खान, जकी अजमल सोनू, नुरुल हक, युसुफ पटेल, आफताब अहमद सिद्दिकी समेत अन्य लोग बनाये गये. रिपोर्ट के मुताबिक मुसलिम एकता मंच की बैठकों में ही शहर में दंगा फैलाने का षडयंत्र रचा गया अौर विभिन्न स्थानों पर पत्थर इकट्ठा किये गये. शोभापुर हत्याकांड ने इसमें ट्रिगर का काम किया.
पशु कारोबार व जमीन खरीद-बिक्री में हुई हत्या: रिपोर्ट कहती है कि 18 मई को बच्चा चोर की अफवाह में राजनगर के शोभापुर में चार लोगों की हत्या का कारण जानवरों का कारोबार था, वहीं उसी शाम बागबेड़ा के नागाडीह में हुई चार लोगों की हत्या के पीछे जमीन की खरीद-बिक्री का विवाद था.
विशेष शाखा पर सवाल : जांच रिपोर्ट में विशेष शाखा पर सवाल उठाते हुए उसे सक्रिय करने की बात कही गयी है. रिपोर्ट के मुताबिक ऐसा प्रतीत होता है कि विशेष शाखा का कोई अस्तित्व नहीं है.
प्रतिबंध पर विचार करने की सिफारिश
जांच रिपोर्ट में फिरोज खान, नुरुल हक, युसुफ पटेल, जकी अजमल एवं अन्य द्वारा बड़े पैमाने पर सरकारी जमीन, वन विभाग की जमीन अौर गरीबों की जमीन कब्जा कर उसकी बिक्री अौर निर्माण कार्य करने की बात कही गयी है तथा मंच के संरक्षकों द्वारा बनाये गये भवनों की सूची भी दी गयी है. रिपोर्ट में मुसलिम एकता मंच को अापराधिक किस्म के लोगों का मंच बताते हुए आने वाले समय में इसके विकराल रूप लेने व इंडियन मुजाहिदिन की तर्ज पर काम करने की आशंका जतायी गयी है तथा इस पर प्रतिबंध लगाने पर विचार करने की सिफारिश की गयी है.

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