ऐसे में एक शिक्षक पर औसत पांच हजार कॉपियों के मूल्यांकन की जिम्मेदारी होगी. विवि के परीक्षा नियंत्रक के दावे पर विश्वास करें तो एक शिफ्ट (यानी छह घंटे) में 40 कॉपियों का मूल्यांकन होना चाहिए. इसके अनुसार एक शिक्षक को पांच हजार कॉपियां जांचने में चार माह लग जायेंगे. ऐसे में कक्षाओं का संचालन कौन करेगा? विवि का कोई भी शिक्षाविद ऐसे सवालों का जवाब नहीं दे रहा.
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उत्तर पुस्तिकाएं जांचने में ही शिक्षकों के बीत जायेंगे 130 दिन
जमशेदपुर: शिक्षकों की भारी कमी के बीच कोल्हान विश्वविद्यालय में च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) लागू करने का फैसला उच्च शिक्षा के लिए आत्मघाती कदम साबित हो सकता है. इस विश्वविद्यालय में छात्रों का नामांकन एवं शिक्षकों की उपलब्धता के आंकड़े पर गौर करें तो साफ हो जाता है कि शिक्षकों के जिम्मे काम का […]
जमशेदपुर: शिक्षकों की भारी कमी के बीच कोल्हान विश्वविद्यालय में च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) लागू करने का फैसला उच्च शिक्षा के लिए आत्मघाती कदम साबित हो सकता है. इस विश्वविद्यालय में छात्रों का नामांकन एवं शिक्षकों की उपलब्धता के आंकड़े पर गौर करें तो साफ हो जाता है कि शिक्षकों के जिम्मे काम का लोड ऐसा रहेगा कि कई विषयों में शिक्षक छह में चार माह प्रथम वर्ष के छात्रों की उत्तर पुस्तिकाएं ही जांचते रह जायेंगे.
ऐसे में छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के दावे की पोल खुल जायेगी. अगर विश्व विद्यालय के आंकड़े पर गौर करें तो छह माह में औसतन 3, 43, 332 उत्तर पुस्तिकाएं मूल्यांकन के लिए उपलब्ध होंगी. विषय के अनुसार औसतन उत्तर पुस्तिकाओं को बांट कर देखें तो केवल भूगोल विषय में 15000 उत्तर पुस्तिकाएं होंगी. इस विषय में महज तीन शिक्षक वर्तमान में सेवा दे रहे हैं.
आंकड़ों की नजर में विवि की स्थिति
विषय कुल पद सेवा रिक्त
अंग्रेजी 43 21 22
हिंदी 46 23 23
राजनीति शास्त्र 38 23 15
इतिहास 35 16 19
अर्थशास्त्र 41 21 20
दर्शनशास्त्र 28 14 14
मनोविज्ञान 23 16 07
बंगला 29 10 19
संस्कृत 12 08 04
उर्दू 14 08 06
रसायन 44 18 26
भौतिकी 38 14 24
गणित 36 14 22
जंतु विज्ञान 26 13 13
वनस्पति विज्ञान 24 12 12
उड़िया 21 18 03
वाणिज्य 68 53 15
गृह विज्ञान 10 03 07
हो 02 00 02
सांख्यिकी 04 03 01
भूगोल 15 03 12
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