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एमजीएम: दिल्ली-रांची से पहुंची चार डॉक्टरों की टीम, प्रसव केंद्र में शिशु चिकित्सक जरूरी

जमशेदपुर: एमजीएम में चार माह में 164 बच्चों की मौत के कारणों का पता लगाने व बचाव के लिए क्या हो सकता है, इसकी जानकारी देने के लिए मंगलवार को दिल्ली व रांची से दो-दो डॉक्टरों की टीम अस्पताल पहुंची. झारखंड सरकार के अनुरोध पर यूनिसेफ के सहयोग से दिल्ली से नवजात बच्चों के विशेषज्ञ […]

जमशेदपुर: एमजीएम में चार माह में 164 बच्चों की मौत के कारणों का पता लगाने व बचाव के लिए क्या हो सकता है, इसकी जानकारी देने के लिए मंगलवार को दिल्ली व रांची से दो-दो डॉक्टरों की टीम अस्पताल पहुंची. झारखंड सरकार के अनुरोध पर यूनिसेफ के सहयोग से दिल्ली से नवजात बच्चों के विशेषज्ञ डॉ अजय गंभीर व डॉ अखिल व रांची से डॉ अजीत व डॉ राहुल एमजीएम पहुंचे थे. टीम के सदस्यों ने सबसे पहले अस्पताल के अधीक्षक डॉ बी भूषण, शिशु व गायनिक विभाग के एचओडी के साथ बात की.

सभी ने बच्चों के मरने के कारणों के बारे में जानकारी ली. साथ ही अस्पताल के प्रसव केंद्र, एनआइसीयू व पीआइसीयू का निरीक्षण किया. निरीक्षण के बाद डॉ अजय गंभीर ने बताया कि एमजीएम में अधिकतर बच्चों की मौत समय से पहले जन्म लेने, सांस की दिक्कत व इंन्फैक्शन से हुई है. उन्होंने कहा कि एनआइसीयू व पीआइसीयू प्रसव केंद्र से काफी दूर है, जो सामने होना चाहिए. साथ ही एनआइसीयू व पीआइसीयू में नियुक्त नर्सों को अगर नवजात बच्चों की देखभाल की ट्रेनिंग जरुरी है.

वहीं एनआइसीयू व पीआइसीयू में नियुक्त डॉक्टरों को भी ट्रेनिंग देना बहुत जरूरी है. साथ ही नर्सों को हमेशा नवजात बच्चों को छूने के पहले हाथ धोना बहुत जरूरी है. टीम के सदस्यों ने बताया कि प्रसव केंद्र में भी बच्चों के डॉक्टरों का होना जरूरी है, जिससे अगर किसी प्रकार कोई कोई दिक्कत होती है, तो तुरंत उसका इलाज किया जा सके. इस दौरान अधीक्षक डॉ बी भूषण, सिविल सर्जन डॉ केसी मुंडा, आरसीएच पदाधिकारी डॉ महेश्वर प्रसाद, यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ एके लाल, डीपीएम निर्मल कुमार आदि उपस्थित थे.

चार बेड पर एक डॉक्टर जरूरी
एमजीएम अस्पताल का िनरीक्षण करने पहुंची टीम के सदस्यों ने बताया कि एमजीएम में संसाधन, डॉक्टर व नर्सों की भारी कमी है. एनआइसीयू में चार नवजात पर एक व पीआइसीयू में तीन पर एक नर्स की जरूरत है. वहीं एनआइसीयू, पीआइसीयू व प्रसव केंद्र में एक डॉक्टर को 24 घंटे रहना चाहिए. सदस्यों ने कहा कि एनआइसीयू, पीआइसीयू व प्रसव केंद्र में रखे बेड व प्रसव टेबुल आपस में सटे हुए हैं. इससे इंफैक्शन हो सकता है. अस्पताल में जगह बढ़ाने की जरूरत है, ताकि जगह साफ-सुथरा रहे. इसके साथ ही इन सभी जगहों की सफाई का जिम्मा एक व्यक्ति का होना चाहिए, ताकि वह इसकी सफाई कराता रहे.

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