अस्पताल महाप्रबंधक डॉ राजन चौधरी और अन्य चिकित्सकों के साथ भी धक्का-मुक्की की.परिजनों व बस्तीवासियों का कहना था कि डॉक्टर मौत के बाद मरीज को आइसीयू में ले गये और बाद में मृत घोषित कर दिया. अगर समय पर इलाज होता तो उसे बचाया जा सकता था. बाद में बिष्टुपुर थाना प्रभारी श्रीनिवासन पहुंचे और मामला शांत हुआ. मौके पर कांग्रेस नेता आनंद बिहारी दुबे भी पहुंचे थे.
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टीएमएच में डेंगू से मौत, लापरवाही का आरोप लगा डॉक्टर से मारपीट
जमशेदपुर : डेंगू से पीड़ित गोलमुरी (नामदा बस्ती) निवासी प्रीतम श्रीवास्तव उर्फ निक्की (18) की शनिवार की सुबह टीएमएच में मौत हो गयी. परिजनों व बस्तीवासियों ने चिकित्सकों पर इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए अस्पताल में तोड़फोड़ की. अस्पताल के पुराने वार्ड की ओर जाने वाले रास्ते के शीशे, गमले तोड़ दिये […]
जमशेदपुर : डेंगू से पीड़ित गोलमुरी (नामदा बस्ती) निवासी प्रीतम श्रीवास्तव उर्फ निक्की (18) की शनिवार की सुबह टीएमएच में मौत हो गयी. परिजनों व बस्तीवासियों ने चिकित्सकों पर इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए अस्पताल में तोड़फोड़ की. अस्पताल के पुराने वार्ड की ओर जाने वाले रास्ते के शीशे, गमले तोड़ दिये और जीएम दफ्तर पर भी हमला बोल दिया.
श्री दुबे ने पूरे मामले की जांच की मांग की. इस मामले में मृतक के पिता संतोष श्रीवास्तव के बयान पर बिष्टुपुर थाना में दो डॉक्टर (डॉ सरिता और डॉ चटर्जी) पर लापरवाही का केस दर्ज किया गया है. दूसरी ओर तोड़-फोड़ के मामले में सुरक्षाकर्मी पीएन सिंह के बयान पर दर्जनों अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है. पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है. 29 को हुआ था टीएमएच में भर्ती :मृतक के पिता संतोष श्रीवास्तव ने बताया कि प्रीतम (सबसे छोटा बेटा) की तबीयत खराब होने पर 29 अगस्त को दोपहर में उसे टीएमएच ले गया. उसे वार्ड 6ए के बेड नं 12 में भर्ती कराया गया. चिकित्सकों ने जांच में बताया कि उसे डेंगू है. उसे खून और पानी चढ़ाया गया था. एक सितंबर को अचानक पेट में दर्द हुआ तो उस वक्त ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक ने उसके नाक में पाइप लगाकर गैस निकालने की कोशिश की. उसी रात करीब 8 बजे से पेट में काफी दर्द हुआ और वह चिल्लाने लगा. तब वे चिकित्सक के पास गये, लेकिन वे उपलब्ध नहीं थे. एक नर्स मरीज को देखने आयी. नर्स ने कहा कि मरीज को इंजेक्शन दे दिया गया है, उसे कुछ नहीं होगा. उस समय डॉ चटर्जी और एक और डॉक्टर (जिसका नाम नहीं जानते) ड्यूटी पर थीं. डॉक्टर 15 मिनट बाद आयी और कहा कि जो दवा दी गयी है, वही चलेगी.
लापरवाही बरतने का आरोप गलत : प्रबंधन
टाटा स्टील के प्रवक्ता अमरेश सिन्हा ने बताया कि लापरवाही का आरोप लगाना बिलकुल ही गलत है. तोड़फोड़ भी गलत है. उन्होंने कहा कि 18 साल के प्रीतम श्रीवास्तव को 29 अगस्त की शाम को भरती कराया गया था. उसे बुखार, पेट दर्द, उलटी की शिकायत थी. टीएमएच में एडमिट होने के बाद जांच व इलाज शुरू हुआ. इस दौरान प्लेटलेट काफी कम हो गया था. 30 व 31 अगस्त के अलावा एक सितंबर को प्लेटलेट चढ़ाया गया. उन्होंने बताया कि 30 अगस्त को ही उनके पिता को बता दिया गया था कि उनके बेटे की स्थिति खराब है. अंतत: दो सितंबर की सुबह वायरल फीवर व एसोसिएटेड कंप्लीकेशन के कारण युवक की मौत हो गयी. उन्होंने बताया कि उत्तेजित लोगों ने तोड़फोड़ की. हमारी संवेदना परिवार के साथ है, लेकिन तोड़फोड़ गलत है.
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