सेमिनार में छोटे व मंझोले उद्योगों के विस्तार पर मंथन किया गया. इस दौरान छोटे और मंझोले उद्योगों को आगे लाने, उनकी वित्तीय स्थिति को मजबूत करने के साथ-साथ लोन समेत अन्य सुविधाएं कैसे उपलब्ध करायी जा सकती है, इस बारे में विस्तार से सारी जानकारी दी गयी. श्री नीरजकांत के साथ मंच पर हाइको इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड के सीइओ व सीआइआइ झारखंड एमएसएमइ पैनल के सह संयोजक तापस कुमार साहू, एके इंडस्ट्रीज के पार्टनर सह सीआइआइ झारखंड एमएसएमइ पैनल के संयोजक एके श्रीवास्तव भी मौजूद थे.
मौके पर एनएसइ इमर्ज के असिस्टेंट मैनेजर दीपन मित्रा, पैंटोमथ कैपिटल के डिप्टी वाइस प्रेसिडेंट रजत वैद्य, एनएसआइसी के चीफ मैनेजर बीके मित्रा मौजूद थे. नीरजकांत में कहा कि अब सिर्फ प्रोेजेक्ट बनाने भर से नहीं चलेगा. प्रोजेक्ट ऐसा बनाना होगा कि कंपनी बेहतर चल सके और आने वाले दिनों में अगर बैंकों से लोन लिया गया है तो उसको लौटाया भी जा सके. उन्होंने बताया कि आज एमएसएमइ सेक्टर के उद्योगों का जीडीपी में 8 फीसदी का योगदान है जबकि इसमें 10 करोड़ लोगों को रोजगार मिलता है. लेकिन उनको पूंजी के लिए संस्थागत तौर पर ऋण नहीं मिल पाता है. इसे और बेहतर करने के लिए सीआइआइ को और मेहनत करना होगा. नीरजकांत सीआइआइ जमशेदपुर काउंसिल के चेयरमैन भी हैं.