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साकची में इंडियन एकेडमी ऑफ पिडियाट्रिक्स का सेमिनार आयोजित, हंसी के साथ मिर्गी का दौरा पड़ना एक बीमारी
जमशेदपुर : बच्चों को हसी के साथ मिर्गी का दौरा पड़ने को लोग सामान्य मानते हैं, लेकिन यह कोई सामान्य नहीं बल्कि एक घातक न्यूरो संबंधित बीमारी है. यह बीमारी अधिकतर एक से तीन साल के बच्चों को होती है. साथ ही यह बीमारी हजारों बच्चों में से एक में देखने को मिलती है. इसका […]
जमशेदपुर : बच्चों को हसी के साथ मिर्गी का दौरा पड़ने को लोग सामान्य मानते हैं, लेकिन यह कोई सामान्य नहीं बल्कि एक घातक न्यूरो संबंधित बीमारी है. यह बीमारी अधिकतर एक से तीन साल के बच्चों को होती है. साथ ही यह बीमारी हजारों बच्चों में से एक में देखने को मिलती है. इसका समय पर इलाज नहीं हाेने से आगे चलकर यह काफी घातक साबित होता है. उक्त बातें रविवार को साकची स्थित एक होटल मेें इंडियन एकेडमी ऑफ पिडियाट्रिक्स द्वारा बच्चों में होने वाली हंसी के साथ मिर्गी बीमारी पर आयोजित सेमिनार में उपस्थित टीएमएच की डॉ प्रीति श्रीवास्तव ने कहीं.
उन्होंने कहा कि इस बीमारी के कारण बच्चों को मिर्गी, हाथ पैर कमजोर होना या सर में दिक्कत होती है. साथ ही बच्चों में स्पाइनल की भी बीमारी हो जाती है. डॉ श्रीवास्तव ने कहा कि न्यूरो संबंधित बीमारी होने के कारण बच्चा हंसता रहता है, लेकिन उसको मिर्गी की बीमारी रहती है.
डॉक्टरों को इसको समझने के साथ ही सही इलाज करने की जरूरत है. सही समय पर इसकी जानकारी होने पर इसका इलाज आसानी से किया जा सकता है. उन्होंने कहा की इस तरह के मरीज अगर किसी डॉक्टर के पास जाता है, तो जांच के बाद बच्चे को न्यूरो के डॉक्टरों के पास भेज दें, ताकि सही इलाज हो सके.
इसके पहले सेमिनार का उदघाटन डॉ बीआर मास्टर, डॉ सरला, आइएपी के अध्यक्ष डॉ आर के अग्रवाल, सचिव अखौरी मिंटू सिन्हा ने किया. वहीं सेमिनार में उपस्थित डॉक्टर जॉय भादुड़ी ने बच्चों में होने वाले चर्म रोग के बारे में जानकारी देने के साथ ही इसका इलाज कैसे किया जाये, इसकी जानकारी डॉक्टरों को दी. उन्होंने बताया कि बच्चों का स्किन काफी नाजुक होता है. हमेशा बच्चों को नाॅर्मल व हल्का साबुन व तेल लगाने की जरूरत है. कभी-कभी साबुन में कैमिकल ज्यादा होने के कारण उससे बच्चों को नहलाने से चर्म रोग हो जाता है. इसको ध्यान में रखने की जरूरत है. साबुन व तेल का सही इस्तेमाल कर बच्चों को चर्म रोगों से बचाया जा सकता है. सेमिनार में डॉ मोहन कुमार, डॉ आरके अग्रवाल, डॉ अखौरी मिंटू सिन्हा, डॉ बीआर मास्टर सहित लगभग 50 से ज्यादा डॉक्टर मौजूद थे.
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