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सीएनटी-एसपीटी संशोधन बिल जनहित में लौटाया

राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू टाटा पहुंचीं, सीएनटी व एसपीटी पर बोलीं दिल की बात जमशेदपुर : सीएनटी व एसपीटी एक्ट में संशोधन बिल को मैंने जनहित में लौटाया है. यह निर्णय मैंने अपनी आत्मा और जनता की आवाज पर लिया. शहर पहुंची राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने सर्किट हॉउस में पत्रकारों से बातचीत में यह बात कही. […]

राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू टाटा पहुंचीं, सीएनटी व एसपीटी पर बोलीं दिल की बात

जमशेदपुर : सीएनटी व एसपीटी एक्ट में संशोधन बिल को मैंने जनहित में लौटाया है. यह निर्णय मैंने अपनी आत्मा और जनता की आवाज पर लिया. शहर पहुंची राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने सर्किट हॉउस में पत्रकारों से बातचीत में यह बात कही. वह अपने पैतृक निवास रायरंगपुर जाने के क्रम में कुछ देर के लिए परिसदन में रुकीं थीं. परिसदन में ही राज्यपाल को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा है कि उन्होंने मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव से बात करने के बाद सीएनटी और एसपीटी में संशोधन का प्रस्ताव वापस किया था. इसमें सरकार के बैकफुट और मेरे फ्रंट फुट पर आने जैसी कोई बात नहीं है. जनता की भलाई के लिए सोचना पड़ता है, जो हमने लिया. राज्यपाल ने कहा कि सीएनटी व एसपीटी एक्ट में संशोधन के खिलाफ और बिल को वापस करने के लिए 200 से अधिक आवेदन सौंपे गये थे, इसके बाद हमने यह फैसला लिया.
शिक्षकों की बहाली होगी, केजी से पीजी तक स्थानीय भाषा में होगी पढ़ाई
राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि झारखंड बोर्ड का रिजल्ट अच्छा नहीं हुआ है. उनका मानना है कि 9वीं व 10वीं में कोचिंग देने से अच्छा परिणाम आ सकता है. विज्ञान के प्रति रुझान पैदा करने के लिए हर प्रखंड में एक-एक स्कूल का चयन कर उसको सेंटर फॉर एक्सीलेंस बनाना है. कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में कई समस्याएं थी. स्वास्थ्य, सुरक्षा और शिक्षा की समस्या थी. इसका प्रथम चरण का काम चल रहा है. दूसरे चरण का काम लंबित है, जो जल्द शुरू हो जायेगा. उन्होंने कहा कि पूरे शिक्षा जगत में शिक्षकों की कमी है, लेकिन बहाली के लिए जेपीएससी में काम चल रहा है. उन्होंने कहा कि राज्य से पलायन कम हुआ है. पूर्व में जो लोग जा चुके है, उनकी वापसी का प्रयास चल रहा है. उन्होंने बताया कि बहुत जल्द केजी से पीजी तक अपनी भाषा में पढ़ाई होगी. प्राथमिक स्तर पर पढ़ाई शुरू हो रही है. बाद में इसे उच्च शिक्षा में भी शुरू किया जायेगा.

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