स्वतंत्र अस्तित्व व संबद्धता के अभाव में नहीं हो सका नामांकन
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बंदी के कगार पर राज्य का एकमात्र अंगीभूत लॉ कॉलेज
स्वतंत्र अस्तित्व व संबद्धता के अभाव में नहीं हो सका नामांकन जमशेदपुर : जमशेदपुर को-ऑपरेटिव लॉ कॉलेज की स्थापना को करीब चार वर्ष हो गये, लेकिन राज्य सरकार की ओर से कॉलेज को अबतक स्वतंत्र अस्तित्व नहीं मिला है. इस कारण कॉलेज का विकास तो प्रभावित है ही, समय-समय पर संबद्धता भी प्रभावित होती रही […]
जमशेदपुर : जमशेदपुर को-ऑपरेटिव लॉ कॉलेज की स्थापना को करीब चार वर्ष हो गये, लेकिन राज्य सरकार की ओर से कॉलेज को अबतक स्वतंत्र अस्तित्व नहीं मिला है. इस कारण कॉलेज का विकास तो प्रभावित है ही, समय-समय पर संबद्धता भी प्रभावित होती रही है.
अब स्थिति यह हो चुकी है कि कॉलेज को बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआइ) से पिछले सत्र की संबद्धता मिली ही नहीं. इस कारण कॉलेज में सत्र 2016-19 में एक भी छात्र का नामांकन ही नहीं हो सका है. पिछला सत्र समाप्त होने के बाद जुलाई माह से नया सत्र 2017-20 शुरू हो चुका है, लेकिन इस सत्र की भी संबद्धता भी नहीं मिल सकी है. इसका कारण कॉलेज में भवन समेत आवश्यक संसाधनों की कमी बतायी जाती है.
कॉलेज में एलएलबी की 160 सीटें. कॉलेज में एलएलबी की 160 सीटें हैं. लेकिन इस वर्ष भी संबद्धता नहीं मिली, तो आगामी वर्षों में राज्य का एकमात्र अंगीभूत लॉ कॉलेज बंदी के कगार पर पहुंच जायेगा.
एक प्रभारी प्राचार्य व दो शिक्षक, दो कमरे. छात्र-छात्राओं की संख्या के अनुसार कॉलेज में शिक्षक भी नहीं हैं. एक प्रभारी प्राचार्य के अलावा दो शिक्षक हैं. इनके अलावा स्थायी शिक्षकेतर कर्मचारी भी नहीं हैं. यहां प्रथम से लेकर तृतीय व अंतिम वर्ष तक छह सेमेस्टर की पढ़ाई होती है. छात्र-छात्राओं की संख्या करीब 600 है, लेकिन मात्र दो कमरों में ही कक्षाएं चलती हैं.
स्वतंत्र अस्तित्व के अभाव में नहीं मिलता अनुदान. कॉलेज को अब तक स्वतंत्र अस्तित्व नहीं मिलने की वजह से यूजीसी अथवा राज्य सरकार से अनुदान प्राप्त नहीं होता है. इस कारण कॉलेज में न तो मूट कोर्ट की समुचित व्यवस्था है और न ही अद्यतन किताबों की. स्वतंत्र अस्तित्व के लिए कोल्हान विवि व कॉलेज की ओर से भी राज्य के मानव संसाधन विकास विभाग को लिखा गया है. इसके अलावा प्रभारी प्राचार्य ने भी विभागीय अधिकारियों से कई बार मुलाकात की, लेकिन अब तक स्थिति जस की तस बनी हुई है.
जल्द संबद्धता मिलने की उम्मीद : प्रभारी प्राचार्य. कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य डॉ जीतेंद्र कुमार ने बताया कि मौजूदा सत्र में जल्द ही बीसीआइ से संबद्धता मिलने की उम्मीद है. उन्होंने बीसीआइ के सदस्यों से मुलाकात कर वस्तुस्थिति से अवगत कराया है. अत: अस्थाई संबद्धता प्राप्त होने की
उम्मीद है.
अब भी को-ऑपरेटिव कॉलेज से मिलता है वेतन
नया भवन बनने के बाद लॉ कॉलेज अलग तो हो गया, लेकिन स्वतंत्र अस्तित्व नहीं मिल पाने के कारण अभी भी यह जमशेदपुर को-ऑपरेटिव कॉलेज का ही हिस्सा बन कर रह गया है. इस कॉलेज के शिक्षकों को अब भी को-ऑपरेटिव कॉलेज से ही वेतन का भुगतान होता है.
अब भी को-ऑपरेटिव कॉलेज से मिलता है वेतन
नया भवन बनने के बाद लॉ कॉलेज अलग तो हो गया, लेकिन स्वतंत्र अस्तित्व नहीं मिल पाने के कारण अभी भी यह जमशेदपुर को-ऑपरेटिव कॉलेज का ही हिस्सा बन कर रह गया है. इस कॉलेज के शिक्षकों को अब भी को-ऑपरेटिव कॉलेज से ही वेतन का भुगतान होता है.
पांच लाख रुपये से अधिक का नुकसान
एक सत्र में नामांकन नहीं होने के कारण कॉलेज को आर्थिक नुकसान भी होता है. यह करीब 5 लाख रुपये से अधिक बताया जाता है. चुंकि यूजीसी अथवा राज्य सरकार की ओर से कॉलेज को अनुदान नहीं मिलता है, इसलिए नामांकन से होनेवाली आय से आवश्यक सामग्री व संसाधनों की व्यवस्था की जाती है.
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