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सीपीआइ को भी मिला संसद जाने का मौका

जमशेदपुर: 1962 में हुए जमशेदपर लोकसभा चुनाव में पहली बार भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (सीपीआइ) ने जीत हासिल की थी. मजदूरों के शहर में कई मजदूर नेताओं ने चुनाव जीता, लेकिन मजदूरों की आवाज को हर क्षेत्र में बुलंद करनेवाली पार्टी सीपीआइ के लिए यह पहला मौका था. सीपीआइ के लिए यह पहला और आखिरी मौका […]

जमशेदपुर: 1962 में हुए जमशेदपर लोकसभा चुनाव में पहली बार भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (सीपीआइ) ने जीत हासिल की थी. मजदूरों के शहर में कई मजदूर नेताओं ने चुनाव जीता, लेकिन मजदूरों की आवाज को हर क्षेत्र में बुलंद करनेवाली पार्टी सीपीआइ के लिए यह पहला मौका था.

सीपीआइ के लिए यह पहला और आखिरी मौका था, जब उसका कोई प्रतिनिधि दिल्ली की संसद में बैठने के लिए जमशेदपुर से गया हो. 1967 में हुए चुनाव में उदयकर मिश्र अपनी सीट बचा पाने में नाकाम रहे थे. इसके बाद सीपीआइ ने कई चुनाव लड़े, लेकिन जीत हासिल नहीं कर पायी. सीपीआइ प्रत्याशी उदयकर मिश्र ने कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी एनसी मुखर्जी को 19805 मतों से पराजित किया था.

सीपीआइ प्रत्याशी को 75000 और कांग्रेस प्रत्याशी को 55195 मत मिले थे. इस चुनाव में महज पांच प्रत्याशियों ने ही किस्मत आजमायी थी. तीन अन्य प्रत्याशियों में एक जनता पार्टी के सीताराम जगतारामका और दूसरे स्वतंत्रता पार्टी के थे, जबकि एक अन्य ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव में अपनी उपस्थिति दर्ज करायी थी. 1971 के चुनाव में पांच प्रत्याशियों के समर्थन में 41.75 प्रतिशत मतदान हुआ, जिसमें 181726 मतदाताओं ने हिस्सा लिया. सीपीआइ ने 1962 की जीत के बाद 1967, 1971 और 1984 में दूसरा स्थान हासिल किया. इसके अलावा भी सीपीआइ ने कई बार चुनाव लड़ा, लेकिन मुकाबले में खुद को नहीं ला सकी.

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