घरेलू अौर अौद्योगिक कंपनियों द्वारा नदी में गिराये जा रहे प्रदूषित पदार्थों की वजह से दोनों नदियों में प्रदूषण लेबल खतरे को पार करने लगा है. इस अनदेखी को केंद्र सरकार ने गंभीरता से लिया है. भारत सरकार की सीएजी की पहल पर पहली बार सुवर्णरेखा व खरकई नदी का पर्यावरणीय अंकेक्षण किया गया है. सूत्रों के मुताबिक सीएजी को सौंपी गयी गोपनीय अंकेक्षण रिपोर्ट में नदियों को प्रदूषण से बचाने के लिए जीरो डिस्चार्ज, कंनसेंट टू अॉपरेट को लेकर टिप्पणी की गयी है. इसके अलावा रिपोर्ट में जमीनी स्तर पर इन नदियों की स्थिति, प्रदूषण का लेबल आदि का पूरा ब्योरा सरकार को सौंपा गया है.
Advertisement
सुवर्णरेखा व खरकई में खतरनाक स्तर पर पहुंचा प्रदूषण
जमशेदपुर: झारखंड की लाइफ लाइन मानी जाने वाली सुवर्णरेखा अौर खरकई नदी में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है. नदी के अस्तित्व को बचाने अौर उसे प्राकृतिक रूप से संरक्षित रखने के लिए जल संसाधन मंत्रालय से लेकर प्रदूषण बोेर्ड की नियमावली बनी हुई है, बावजूद इसके इसके बचाने के लिए अबतक ठोस कदम […]
जमशेदपुर: झारखंड की लाइफ लाइन मानी जाने वाली सुवर्णरेखा अौर खरकई नदी में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है. नदी के अस्तित्व को बचाने अौर उसे प्राकृतिक रूप से संरक्षित रखने के लिए जल संसाधन मंत्रालय से लेकर प्रदूषण बोेर्ड की नियमावली बनी हुई है, बावजूद इसके इसके बचाने के लिए अबतक ठोस कदम नहीं उठाये जा सके हैं.
16 जगहों का नमूना लिया गया. वर्ष 2017 में सुवर्णरेखा व खरकई नदी के प्रदूषण का लेवल जानने के लिए जल संसाधन, केंद्रीय जल आयोग व कॉरपोरेट कंपनी की टीम ने संयुक्त रूप से नदियों में बड़े नालाें से गिरने वाले 16 जगहों पर पानी का नमूना लिया अौर इसकी पड़ताल के लिए लैब में भेजा है.
प्रदूषण लेवल बढ़ने से उगती है जलकुंभी. खरकई अौर सुवर्णरेखा नदी में प्रदूषण लेवल बढ़ने से जलकुंंभी उगती है. जलकुंभी से संक्रमित बीमारी फैलाने वाले मच्छर जन्म लेते हैं. जमशेदपुर में पिछले पांच सालों से तेजी से जलकुंभी फैली है. खासकर बारिश के मौसम से पूर्व यह नदियों में तेजी से फैलती है.
सुवर्णरेखा व खरकई नदी के प्रदूषण को लेकर टाटा स्टील समेत अन्य कॉरपोरेट कंपनियों के साथ बैठक करेंगे. उनसे पूर्व में नदियों के प्रदूषण रोकथाम के उपाय को लेकर रिपोर्ट मांगी थी, वह नहीं दी है. उसका रिमाइंडर करायेंगे. मानक के मुताबिक नदियों का प्रदूषण रोकने के लिए जल्द ठोस कदम उठायेंगे. इसके लिए प्रदूषण बोर्ड से सहयोग लेंगे.
ब्रजमोहन कुमार, कोल्हान आयुक्त सह प्रशासक, एसएमपी.
घरेलु अौर अौद्योगिक कंपनियों के कारण सुवर्णरेखा अौर खरकई नदी प्रदूषित हो रही है. इसे रोकने के लिए हमें अपने से शुरुआत करनी पड़ेगी. प्रदूषण रोकने के लिए कानून या सरकारी उपायों के बजाय समाज को जागरूक बनाकर इस दिशा में काम कर सकते हैं. केके शर्मा, पर्यावरणविद , जमशेदपुर
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement