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चांडिल से शहर आने-जाने के दो मार्ग अवरूद्ध

कांड्रा-चौका के बीच पलगाम का पुल धंसने के बाद मुश्किलें बढ़ीं, पहले से मानीकुई पुल है क्षतिग्रस्त मानसून आ गया, अस्थायी डायवर्सन भी अब होगा बंद मानगो-पारडीह मार्ग पर बढ़ेगा गाड़ियों का लोड जमशेदपुर : अगर आपको कांड्रा होकर रांची जाना है तो इस मार्ग से होकर गुजरना खतरे से खाली नहीं है. इसकी वजह […]

कांड्रा-चौका के बीच पलगाम का पुल धंसने के बाद मुश्किलें बढ़ीं, पहले से मानीकुई पुल है क्षतिग्रस्त

मानसून आ गया, अस्थायी डायवर्सन भी अब होगा बंद
मानगो-पारडीह मार्ग पर बढ़ेगा गाड़ियों का लोड
जमशेदपुर : अगर आपको कांड्रा होकर रांची जाना है तो इस मार्ग से होकर गुजरना खतरे से खाली नहीं है. इसकी वजह है कि कांड्रा से चौका होकर गुजरने वाले रास्ते के बीच में पड़ने वाला पलगाम गांव का पुल धंस गया है. इससे उस रास्ते से आवाजाही रोक दी गयी है. वहीं, कांड्रा से चांडिल की ओर जाने वाले रास्ते के बीच स्थित मानीकुई पुल पहले ही धंस गया था, अब वहां नया पुल बन रहा है. वैकल्पिक मार्ग मानीकुई नदी के नीचे से बनाया गया है.
अब तक लोग वैकल्पिक तौर पर कांड्रा चौका मार्ग का इस्तेमाल कर रहे थे, लेकिन अब वह भी बंद हो गया है. अब वैकल्पिक रास्ता नदी से होकर जो गुजरता है, इससे बड़े छोटे वाहन पार कर रहे हैं ऐसे में कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. समस्या यहीं खत्म नहीं होने वाली है. झारखंड में मानसून दस्तक दे रहा है. ऐसे में झारखंड की राजधानी से सरायकेला-जमशेदपुर, चाईबासा समेत कई महत्वपूर्ण जिले का संपर्क कट जायेगा. क्योंकि नदी के नीचे से बने वैकल्पिक रास्ते में बारिश का पानी भर जायेगा तब इस मार्ग से गुजरना असंभव हो जायेगा. अब रांची जाने के लिे एक मात्र पारडीह रोड ही बच जायेगा, जिसमें एनएच की स्थिति काफी खस्ताहाल है.
मानीकुई नया पुल 2018 में होगा तैयार, पलगाम पुल के पास बनेगा डायवर्सन
पलगाम पुल धंसने के बाद वैकल्पिक रास्ते पर लगा जाम
पलगाम का पुल धंसने के बाद अब वैकल्पिक रास्ते का लोड और बढ़ गया है. खतरनाक मार्ग होने के बावजूद इससे होकर गुजरने वाले वाहनों का गुरुवार को तांता लगा रहा. मानीकुई के पास से चांडिल की ओर जाने के दौरान दोनों ओर गाड़ियों की लंबी कतारें लगी रहीं. इससे बड़ा हादसा होने का खतरा बना हुआ है.
कांड्रा-चौका पुल मरम्मत का प्रयास, लेकिन नया पुल ही विकल्प
कांड्रा से चौका के बीच के पलगाम पुल को घेर कर उसकी मरम्मत का काम चल रहा है. लेकिन बीच का हिस्सा ही टूट गया है. इंजीनियरों का मानना है कि पुल का निर्माण ही ढंग से नहीं हुआ है, ऐसे में मरम्मत से काम नहीं चलेगा. वहां नया पुल बनाना ही एकमात्र विकल्प है.
ट्रक पार कराने में ज्यादा खतरा : राजेंद्र. ट्रक चालक राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि माल भरा हुआ ट्रक कहीं कच्चे रास्ते से नीचे न उतर जाये, इसे लेकर गुजरते समय डर बना रहता है. ट्रैक से फिसलने का मतलब सीधे नदी में गिरना है.
नदी में गिर जाने का भय : समीर. दोपहिया लेकर जा रहे स्थानीय राहगीर समीर के मुताबिक बाइक से पार होते समय हमेशा डर लगता है कि कहीं नदी न गिर जायें. क्योंकि बड़े वाहनों के बीच से निकलना पड़ता है. एक बार अनबैलेंस हुए तो सीधे नदी के अंदर.
खतरनाक है आना- जाना : विष्णु. बाइक चालक विष्णु नायक ने बताया कि हम लोग नियमित आना-जाना करते हैं. अब अगर कांड्रा जाना है तो उधर से ही जाना पड़ेगा. बड़ी गाड़ी पतली सड़क से होकर गुजरना कितना खतरनाक है.
बारिश में वैकल्पिक रास्ता बंद होगा : इंजीनियर. मानीकुई पुल के साइट इंजीनियर राजीव रंजन ने बताया कि वैकल्पिक रास्ता को बारिश होने के बाद हर बार बंद करना पड़ता है. अगर वाटर लेवल बढ़ेगा तो गाड़ियां नहीं जा पायेंगे. जहां तक इस पुल की बात है तो यह 2018 के अंत तक ही पूरा हो पायेगा. वैसे काम तेजी से चल रहा है.
तत्काल डायवर्सन बनाने का दिया है निर्देश, हो रही है जांच : ईई
सरायकेला-खरसावां के पथ निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता दिनेश रजक ने बताया कि तत्काल डाइवर्सन बनाकर यातायात को शुरू कराने को कहा गया है. यह पुल चार साल पहले बनाया गया है. उस सड़क को झारखंड एक्सीलरेटेड रोड डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड (जेएआरडीसीएल) 15 साल के लिए बिल्ड एंड ऑपरेट व मेंटेनेंस के लिए दिया गया है. जेआरडीसीएल के सारे काम को मुख्यालय के स्तर पर ही देखा जाता है. ऐसे में वहीं से इसकी जांच चल रही है और देखा जा रहा है कि ऐसे कैसे पुल धंस गया है. फिलहाल हम लोग यातायात को शुरू करने के लिए डाइवर्सन बनाने का निर्देश दे चुके हैं.
सीमेंट, बालू व गिट्टी का मिश्रण भी प्राक्कलन के अनुसार नहीं

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