जमशेदपुर: जिंदगी वही है लेकिन जीने के मायने बदल गये हैं. परिवार न्यूक्लियर हो रहा है, और टेक्नोलॉजी ऑफिस के साथ-साथ बेडरूम तक पहुंच गयी है. इससे जिंदगी की चुनौतियां जहां बढ़ी हैं, वहीं इन चुनौतियों का सामना करने का साइड इफेक्ट लोगों की पर्सनल लाइफ पर भारी पड़ रहा है. पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ के बीच अगर बैलेंस बना लिया जाये तो फिर जिंदगी का आनंद लिया जा सकता है. उक्त बातें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की चेयरमैन अरुंधती भट्टाचार्य ने कही. वे एक्सएलआरआइ के 58 वें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रही थीं.
उन्होंने कहा कि पढ़ना और सीखना एक सतत अभ्यास है. इसे कभी बंद न करें. प्रोफेशनल लाइफ में हर दिन खुद को साबित करना जरूरी है लेकिन ऑफिस के काम के बोझ और टेंशन को कभी भी घर पर न लायें. घर को घर बने रहने दें. उन्होंने कहा कि तकनीक दांपत्य जीवन पर इतना हावी हो गया है कि लोग ऑफिस से घर पहुंचने के बाद भी मोबाइल पर मैसेजिंग, इमेल, चैट करते रहते हैं, इससे वे अपनों को समय नहीं दे पाते हैं, इसका दूरगामी असर पड़ता है.
अच्छाई का असर दो पीढ़ियों पर पड़ता है
एक्सएलआरआइ के दीक्षांत समारोह के दौरान टाटा स्टील के पूर्व एमडी एचएम नेरूरकर ने एक्सलर्स को संबोधित करते हुए कहा कि आप पर ना सिर्फ आपके परिवार, शिक्षक, संस्थान बल्कि पूरे देश की नजर है. आप जैसा करेंगे वैसा ही आपके जूनियर और दूसरे लोग सीखेंगे. श्री नेरूरकर ने कहा कि अनुशासन को अपने जीवन में उतारे. आप सोशल और कॉरपोरेट चेंज के जनक हैं. भले आप ग्रेजुएट हो गये हों लेकिन पढ़ना कभी भी ना छोड़े.
पहला मैग्जीन लांच
दीक्षांत समारोह के दौरान एक्सएलआरआइ के पहले मैग्जीन ( मैगिस ) को भी लांच किया गया. हर तीसरे महीने इसे जारी किया जायेगा.