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एक हफ्ते में सरकार को सौंप देंगे सर्वे रिपोर्ट

धालभूमगढ़:केंद्रीय उड्डयन राज्यमंत्री जयंत सिन्हा द्वारा धालभूमगढ़ को विश्व स्तरीय एयरपोर्ट बनाने की घोषणा के बाद इसके शुरू करने का प्रयास शुरू कर दिया गया है. मुख्यमंत्री रघुवर दास के निर्देश पर बुधवार को उपायुक्त अमित कुमार ने अधिकारियों के साथ एयरपोर्ट का निरीक्षण किया. उपायुक्त ने सीअो से इस पुराने एयरपोर्ट की जानकारी ली […]

धालभूमगढ़:केंद्रीय उड्डयन राज्यमंत्री जयंत सिन्हा द्वारा धालभूमगढ़ को विश्व स्तरीय एयरपोर्ट बनाने की घोषणा के बाद इसके शुरू करने का प्रयास शुरू कर दिया गया है. मुख्यमंत्री रघुवर दास के निर्देश पर बुधवार को उपायुक्त अमित कुमार ने अधिकारियों के साथ एयरपोर्ट का निरीक्षण किया. उपायुक्त ने सीअो से इस पुराने एयरपोर्ट की जानकारी ली तथा नक्शा देखा. उपायुक्त ने घाटशिला के एसडीअो सुशांत गौरव को वन विभाग एवं भू राजस्व विभाग (अंचल) की टीम बना कर जमीन की मापी, सर्वे कर रिपोर्ट तैयार कर एक सप्ताह के अंदर जिला को भेजने का निर्देश दिया.
उपायुक्त ने कहा कि एयरपोर्ट की जमीन संबंधी रिपोर्ट एक सप्ताह में सरकार को भेज दी जायेगी. एयरपोर्ट में फॉरेस्ट विभाग की जमीन है जिसका सरकार स्तर से वन विभाग से एनअोसी लेकर हस्तांतरण की प्रक्रिया होगी. राज्य सरकार एयरपोर्ट से संबंधित सकारात्मक पक्ष की रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजेगी. उपायुक्त के साथ एसएसपी अनूप टी मैथ्यू, एसडीओ सुशांत गौरव, अंचलाधिकारी समेत पुलिस पदाधिकारी उपस्थित थे. शाम में सांसद विद्युत वरण महतो ने उपायुक्त से आवास पर भेंट कर धालभूमगढ़ एयरपोर्ट पर चर्चा की.
हवाई पट्टी पर 30 मिनट पैदल चले पदाधिकारी. पुरानी हवाई पट्टी के रनवे पर उपायुक्त व अन्य पदाधिकारी करीब आधा घंटा तक कड़कती धूप में पैदल चले. इसके बाद मुख्य हवाई पट्टी व दूसरे रनवे का निरीक्षण किया. दूसरी रनवे का निरीक्षण वाहन से किया गया. करीब 45 मिनट तक डीसी ने रनवे का भौतिक निरीक्षण किया.
19 अप्रैल को एएआइ ने किया था निरीक्षण. एयरपोर्ट ऑथोरिटी ऑफ इंडिया के डीजीएम सुदेश शर्मा और अन्य पदाधिकारियों ने सांसद विद्युत वरण महतो के साथ धालभूमगढ़ और चाकुलिया के पुराने एयरपोर्ट का निरीक्षण किया था. इसके बाद केंद्रीय उड्डयन मंत्री जयंत सिन्हा ने धालभूमगढ़ में विश्व स्तरीय एयर पोर्ट निर्माण की घोषणा तीन जून को जमशेदपुर में की.
पुरानी हवाई पट्टी नक्शा और खतियान में दर्ज नहीं. सर्वे सेटलमेंट 1964 के खतियान में हवाई अड्डा दर्ज नहीं है. नक्शा में हवाई पट्टी नहीं दर्शायी गयी है. सीओ हरीश चंद्र मुंडा ने बताया कि हवाई पट्टी सर्वे सेटलमेंट में आरएफ के नाम से दर्ज है.
1971 में अंतिम बार उपयोग हुई हवाई पट्टी. धालभूमगढ़ हवाई पट्टी का अंतिम बार रक्षा विभाग ने 1971 में उपयोग किया था. भारत-बांग्लादेश युद्ध के समय हवाई पट्टी, विभिन्न प्रकार के युद्ध टैंकर, मिसाइल मार करने वाली मशीन आदि रखी गयी थी.
कई राज्यों को मिलेगा लाभ. धालभूमगढ़ में विश्व स्तर का हवाई अड्डा निर्माण होने से झारखंड के पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला- खरसावां, पश्चिम बंगाल के पुरुलिया, बाकुंड़ा, झाड़ग्राम, पश्चिम मेदिनूपुर, ओड़िशा के मयूरभंज, क्योंझर, बालासोर जिले के लोगों को लाभ मिलेगा.
द्वितीय विश्व युद्ध के समय बना था
धालभूमगढ़ हवाई पट्टी का निर्माण द्वितीय विश्व युद्ध के समय (1939-1945) साल जंगल के बीच तत्कालीन इस्ट इंडिया कंपनी ने कराया था. इसमें करीब चार किलोमीटर के दो रनवे और करीब दो किलोमीटर में हवाई अड्डा फैला था. जहाज रखने के हैंगर, बिंततु भवन की व्यवस्था थी. इसका अवशेष आज भी है. उस समय चूना और सुरकी से हवाई पट्टी का निर्माण किया गया था.
मापी से बढ़ सकती है भूमि
वन पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन विभाग अंचल अमीन की मापी से भूमि बढ़ सकती है. हवाई पट्टी में कालापाथर पहाड़ 12 मौजा में फैला है. 12 मौजा के लोगों की आस्था और विश्वास का प्रतीक कालापाथर पहाड़ दोनों रनवे और हवाई पट्टी के बीच है. परंपरा के मुताबिक बांग्ला आषाढ़ माह के चौथे मंगलवार को कालापाथर पहाड़ की पूजा की जाती है. 12 मौजा के लोग पूजा करते हैं. विद्युत वरण महतो ने सांसद बनने के बाद से एयर पोर्ट निर्माण के लिए पहल शुरू की थी. इसके लिए मुख्यमंत्री, केंद्रीय उड्डयन मंत्री, एएआइ के पदाधिकारी के साथ कई बार चर्चा की. एएआइ पदाधिकारियों के भौतिक निरीक्षण, मुख्यमंत्री से चर्चा के बाद एयरपोर्ट निर्माण के लिए धालभूमगढ़ को उपयुक्त माना. एनएच 33 से शून्य किलोमीटर पर यह अवस्थित है. रेलवे से भी दूरी एक किलोमीटर से कम है. सड़क सही रहे, तो 40 मिनट में जमशेदपुर से आवागमन किया जा सकता है.

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