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अंधेरे में जीने को विवश है 5000 की आबादी

बड़कागांव : बड़कागांव प्रखंड के अनुसूचित जाति व जनजाति बहुल क्षेत्र आंगों पंचायत के चार गांवों में बिजली नहीं है. इस पंचायत के ग्राम गुड़कुआ, बड़कीटांड़, डुबरबेड़ा, पारगढ़ा के लोगों को आज तक बिजली नसीब नहीं हुई है. लोग आज भी ढिबरी युग में जी रहे हैं. इन गांवों मे मुंडा, मांझी व तिग्गा जाति […]

बड़कागांव : बड़कागांव प्रखंड के अनुसूचित जाति व जनजाति बहुल क्षेत्र आंगों पंचायत के चार गांवों में बिजली नहीं है. इस पंचायत के ग्राम गुड़कुआ, बड़कीटांड़, डुबरबेड़ा, पारगढ़ा के लोगों को आज तक बिजली नसीब नहीं हुई है. लोग आज भी ढिबरी युग में जी रहे हैं. इन गांवों मे मुंडा, मांझी व तिग्गा जाति के लोग रहते हैं. चारो गांवों की जनसंख्या लगभग 5000 है. इन गांवों में राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना के तहत भी बिजली नहीं पहुंची.जंगलों से घिरे गांव के लोग विकट परिस्थित में जी रहे हैं. बड़कागांव प्रखंड मुख्यालय से 20-22 किमी की दूरी पर बसे इन गांवों की सुधि लेने जनप्रतिनिधि कभी नहीं आते हैं.
ग्रामीणों की पीड़ा: ग्रामीण जेस मुंडा ने बताया कि गांव में हमें अंधेरे में रहना पड़ रहा है. केरोसिन 30 रुपये लीटर खरीद कर लालटेन व ढिबरी जलाना पड़ता है. कभी-कभार यह भी नहीं मिलता है.
केरोसिन नहीं मिलने पर रात अंधेरे में गुजारना पड़ता है. ग्रामीण रमेश की मानें तो केरोसिन की तो किल्लत रहती है, लेकिन बहुत जरूरी होने पर लकड़ी जलाकर अंधेरा दूर करना पड़ता है. बिजली के अभाव में शादी-विवाह में अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
अधिकारी भी गंभीर नहीं: भाकपा माले नेता सफदर इमाम ने बताया कि 21वीं सदी में भी इन गांवों में बिजली का नहीं होना ताज्जुब की बात है. इन गांवों की समस्याओं के बारे में वरीय अधिकारियों को जानकारी दी गयी, लेकिन किसी ने गंभीरता से नहीं लिया.

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