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भाषा हमारे अस्तित्व से जुड़ी है : भारत यायावर

साहित्यिक संगोष्ठी हजारीबाग : साहित्यिक सांस्कृतिक संस्था परिवेश की ओर से बदलते परिवेश में हिंदी की गरिमा विषय पर यदुनाथ बालिका मवि में संगोष्ठी हुई. अध्यक्षता हिंदी के सुप्रसिद्ध आलोचक कवि डॉ भारत यायावर ने की. संचालन शिक्षक डॉ बलदेव पांडेय ने किया. डॉ यायावर ने कहा कि भाषा हमारे अस्तित्व से जुड़ा है. हमारे […]

साहित्यिक संगोष्ठी
हजारीबाग : साहित्यिक सांस्कृतिक संस्था परिवेश की ओर से बदलते परिवेश में हिंदी की गरिमा विषय पर यदुनाथ बालिका मवि में संगोष्ठी हुई. अध्यक्षता हिंदी के सुप्रसिद्ध आलोचक कवि डॉ भारत यायावर ने की. संचालन शिक्षक डॉ बलदेव पांडेय ने किया. डॉ यायावर ने कहा कि भाषा हमारे अस्तित्व से जुड़ा है.
हमारे पूर्वज साहित्य लेखन में पूरी तरह समर्पित होकर आये थे.उनका हमें सम्मान करना चाहिये. उन्होंने वामपंथी को नकारवादी कहा. इंफाल से आये साहित्यानुरागी एवं सीआरपीएफ कमांडेंट मुन्ना सिंह ने कहा कि जब तक भाषा भाव को संप्रेषित कर रही है, वह चलती रहेगी. साहित्य हमारी सभ्यता का परिचायक है.
प्राध्यापक डॉ सुबोध कुमार सिंह शिवगीत ने हिंदी की गरिमा पर रोशनी डालते हुए उसके विकास की परंपरा एवं वर्तमान स्थिति को रेखांकित किया. कथाकार रतन वर्मा एवं विकास ने हिंदी के व्यवहारिक पक्ष पर बल दिया. उन्होंने कहा कि हमारा आज भी अंग्रेजी का संस्कार नहीं बदला है.उभरते कथाकार एवं ज्योतिषविद विवेक प्रियदर्शी ने कहा कि अच्छी रचना के पाठक हैं.
हिंदी में अन्य भाषाओं के शब्दों को पचाने की ताकत है. युवा कवि आलोचक गणेश चंद्र राही ने कहा कि हिंदी एवं साहित्य की गरिमा कभी कम नहीं होगी. हिंदी अपने व्यवहार में एक वैज्ञानिक भाषा है. लेखक का उद्देश्य महान है तो उसकी रचना भी श्रेष्ठ होगी ही. संगोष्ठी को साहित्य प्रेमी बृजलाल राणा, शिक्षक बालेश्वर राम ने भी संबोधित किया.अवधेश शर्मा,अमरेज अंसारी ने कविता पाठ किया.धन्यवाद ज्ञापन करण कशिश ने किया.

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