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सात माह से नहीं मिला वेतन
200 रोजगार सेवकों ने दिया सामूहिक इस्तीफा हजारीबाग : जिले के विभिन्न प्रखंडों में मनरेगा के तहत कार्यरत रोजगार सेवकों ने सोमवार को डीडीसी को सामूहिक इस्तीफा सौंपा. इसके पूर्व झारखंड राज्य मनरेगा कर्मचारी संघ के बैनर तले 16 से 18 मार्च तक जिला समाहरणालय के समक्ष अपनी विभिन्न मांगों को लेकर सांकेतिक धरना दिया […]
200 रोजगार सेवकों ने दिया सामूहिक इस्तीफा
हजारीबाग : जिले के विभिन्न प्रखंडों में मनरेगा के तहत कार्यरत रोजगार सेवकों ने सोमवार को डीडीसी को सामूहिक इस्तीफा सौंपा. इसके पूर्व झारखंड राज्य मनरेगा कर्मचारी संघ के बैनर तले 16 से 18 मार्च तक जिला समाहरणालय के समक्ष अपनी विभिन्न मांगों को लेकर सांकेतिक धरना दिया गया. त्याग पत्र में लिखा है कि सरकार के आदेश के बावजूद कई महीने से मानदेय का भुगतान नहीं किया गया है. साथ ही मनमानी तरीके से मानदेय का भुगतान किया जाता है. रोजगार सेवकों पर प्रतिदिन 100 से 150 मजदूर लगाने का दबाव रहता है. किसी भी गलती पर सिर्फ रोजगार सेवक पर कार्रवाई होती है. जेल भेजा जाता है और बर्खास्त कर दिया जाता है. ज्ञापन में कहा गया कि प्रशासन के इस रवैये से क्षुब्ध होकर सामूहिक त्याग-पत्र देने का निर्णय लिया गया.
इन लोगों ने सौंपा त्यागपत्र : उप विकास आयुक्त को त्यागपत्र सौंपने वालों में जितेंद्र कुमार, बालेश्वर प्रसाद, बसंत नारायण मेहता, विजरा रविदास, नीरज, भरत राम, पंकज राम, गणेश प्रजावती, संत सरोज पाठक, दीपक, दिनेश कुमार, रूपेश सिन्हा, उमेश कुमार शिबू, अनिल कुमार, मोनाहजीर, रिंकू रविदास, दीपक कुमार, अकेला, कृष्ण कुमार, ओम प्रकाश सिंह, कामना कुमारी, शशि भूषण प्रसाद, घनश्याम राम रवि, अजय कुमार, शिव कुमार राणा, दिलीप करमाली, विजय महतो, अवध किशोर समेत चौपारण, बरकट्ठा, विष्णुगढ, टाटीझरिया, पदमा, केरेडारी, दारू, कटकमसांडी, डाडी, बरही, सदर प्रखंड के 200 रोजगार सेवक शामिल हैं. इस्तीफा की प्रति मनरेगा आयुक्त झारखंड सरकार रांची, आयुक्त उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल हजारीबाग तथा उपायुक्त हजारीबाग को दी गयी है.
रोजगार सेवकों ने रखी अपनी मांगें : निर्धारित मानदेय 6,050 रुपया प्रति माह दस तारीख को भुगतान किया जाना है. लेकिन समय पर कभी मानदेय का भुगतान नहीं किया जाता. कई प्रखंडों में सात माह से मानदेय का भुगतान नहीं किया गया है. रोजगार सेवकों को गृह प्रखंड में भी नियुक्त करने की भी मांग की गयी. रोजगार सेवकों का कहना है कि मनरेगा के अलावा अन्य कार्यों में भी लगाकर मानसिक एवं शारीरिक शोषण किया जाता है.
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