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10 लाख की लागत से खरीदी गयी मशीनें

हॉलीक्रास में चूजों का व्यावसायिक उत्पादन शुरू हजारीबाग : हॉलीक्रॉस कृषि विज्ञान केंद्र से मुर्गियों के चूजे का व्यावसायिक उत्पादन शुरू हो गया है. देसी नस्ल की मुर्गियों को ब्रायलर मुर्गियों के रूप में विकसित करने की योजना है. इसके लिये नाबार्ड और हॉलीक्रॉस कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से करीब 10 लाख रुपये की […]

हॉलीक्रास में चूजों का व्यावसायिक उत्पादन शुरू
हजारीबाग : हॉलीक्रॉस कृषि विज्ञान केंद्र से मुर्गियों के चूजे का व्यावसायिक उत्पादन शुरू हो गया है. देसी नस्ल की मुर्गियों को ब्रायलर मुर्गियों के रूप में विकसित करने की योजना है. इसके लिये नाबार्ड और हॉलीक्रॉस कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से करीब 10 लाख रुपये की मशीन खरीदी गयी है. इनमें अंडा से चूजा निकालने के लिये इनक्वेटर मशीन भी शामिल हैं. मशीनें सोलर सिस्टम से संचालित होती हैं.
किसानों को मिलेगी देसी मुर्गियां : कृषि विज्ञान केंद्र के ब्रायलर से देसी नस्ल की कारी श्यामा, कारी निर्भिक, उल्टा पंखवाली मुर्गियों के चूजे तैयार किये जा रहे हैं. किसानों को यह अनुदानित मूल्य में दिया जायेगा. इन्वेटर मशीन से इनकी नस्ल को सेने का काम होता है. 21 दिन में अंडे से चूजे बाहर निकल जायेंगे. इसके बाद चूजों के परीक्षण के बाद किसानों को उपलब्ध कराया जायेगा. कृषि विज्ञान केंद्र के चिकित्सक डॉ डी राय ने बताया कि कारी श्यामा मुर्गी, कडकनाथ और कारी रेड नस्ल की मुर्गी से क्रॉस कर तैयार किया है. यह नस्ल बिहार के झबुआ, छत्तीसगढ़, चीन और इंडोनेशिया में पाये जाते हैं. इसे औषधीय मुर्गी के रूप में भी जाना जाता है. यह हजारीबाग के किसानों के लिये काफी लाभदायक सिद्ध होगा. यह मुर्गी करीब 200 दिनों तक अंडा देती है. करीब साढ़े पांच माह में अंडा देने को तैयार हो जाती है.

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