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ओके::जलापूर्ति प्लांट से नहीं हो रही है पानी की सप्लाई

ओके::जलापूर्ति प्लांट से नहीं हो रही है पानी की सप्लाईभीषण गरमी में पानी को तरस रहे हैं बरहीवासी06बरही 01 पानी के लिए पीएचइडी कार्यालय के समक्ष आवाज उठाते लोगबरही़ पीएचइडी के बरही स्थित जलापूर्ति प्लांट दिनों-दिन जर्जर होता चला गया. वर्ष 1974 में यहां से जलापूर्ति शुरू हुई थी़ वर्ष 2004 में 2.30 करोड़ की […]

ओके::जलापूर्ति प्लांट से नहीं हो रही है पानी की सप्लाईभीषण गरमी में पानी को तरस रहे हैं बरहीवासी06बरही 01 पानी के लिए पीएचइडी कार्यालय के समक्ष आवाज उठाते लोगबरही़ पीएचइडी के बरही स्थित जलापूर्ति प्लांट दिनों-दिन जर्जर होता चला गया. वर्ष 1974 में यहां से जलापूर्ति शुरू हुई थी़ वर्ष 2004 में 2.30 करोड़ की लागत से जलापूर्ति प्लांट का नवीनीकरण किया गया़ शुरुआत में तो यहां से पर्याप्त जलापूर्ति होती थी, लेकिन अब नाम मात्र की जलापूर्ति हो रही है. यहां 30 मार्च से ही जलापूर्ति ठप है. 30 मार्च से जलापूर्ति बंद रहने के कारण भीषण गर्मी में लोगों को परेशानी हो रही है़ 30 स्टैंड पोस्ट में एक भी नहीं बचा: बरही के विभिन्न मुहल्लों में 30 स्टैंड पोस्ट यानी सार्वजनिक नल थ़े इनमें आज एक भी बरकरार नहीं है. कई तो क्षतिग्रस्त होकर समाप्त हो गये. वर्ष 2012 में विभाग ने बाकी बचे सभी सार्वजनिक नलों में जलापूर्ति बंद कर दी़, जिसके बाद से ही सभी नलों का अस्तित्व खत्म हो गया. इससे आम लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा. जलापूर्ति की मांग को लेकर लोगों ने आवाज भी उठायी, लेकिन उनकी एक न सुनी गयी. पीएचइडी के अधिकारियों की मानें, तो सरकार ने जलापूर्ति बंद करने का फैसला लिया था. 720 घरेलू कनेक्शन: मौजूदा समय में 720 घरेलू कनेक्शन यहां हैं, लेकिन पानी की आपूर्ति नहीं के बराबर हो रही है. जलापूर्ति के लिए एक लाख गैलन की क्षमता वाली पानी टंकी है, लेकिन यह किसी काम का नहीं. स्थानीय लोगों के अनुसार यदि पानी की कभी आपूर्ति होती भी है, तो दस मिनट से अधिक नहीं. घटता गया पानी, बढ़ता गया बिल: पहले प्रतिमाह पानी के लिए पांच रुपया बिल निर्धारित था. वर्ष 2008-09 में पानी शुल्क बढ़ा कर 50 रुपया प्रतिमाह कर दिया गया़ नवंबर 2014 में प्रतिमाह 62 रुपया बिल किया गया. लोगों को एक वर्ष से फिल्टर में इस्तेमाल होनेवाली फिटकिरी ब्लीचिंग पाउडर फिल्टर प्लांट को नहीं मिला़ एक वर्ष से बगैर फिल्टर के ही पानी की आपूर्ति होती रही. दो कर्मचारी के भरोसे प्लांट: पहले फिल्टर प्लांट में छह व पानी टंकी में तीन कर्मी नियुक्त थ़े अब सिर्फ एक-एक कर्मचारी ही दोनों स्थानों पर बच गये हैं. कर्मियों की सेवानिवृत्ति के बाद किसी की नियुक्ति नहीं हुई. सिर्फ दो कर्मी के सहारे इतना बड़ा प्लांट चल रहा है. सारी जवाबदेही जल स्वच्छता समिति के मत्थे डाल दी गयी है़ जल स्वच्छता समिति प्लांट के संचालन, जलकर संग्रहण और बिजली बिल भुगतान में असफल रहा है़ जल उपभोक्ताओं पर लाखों रुपये का बकाया है. पानी का बिल नहीं मिलता: उपभोक्ताओं की शिकायत है कि विभाग ओर से पानी के लिए नियमित बिल नहीं देने से वे भुगतान भी नहीं कर पाते हैं.

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