हजारीबाग : सदर विधायक मनीष जायसवाल ने विधानासभा बजट सत्र के तारांकित प्रश्न काल में प्लस टू शिक्षकों की नियुक्ति में शिक्षकों के पदनाम का मामला उठाया. विधायक ने सदन में कहा कि वर्ष 2011 में राज्य में प्लस टू शिक्षकों की नियुक्ति के क्रम में शिक्षकों का पदस्थापन के लिए स्नातकोत्तर प्रशिक्षित शिक्षक के रूप में अंकित किया गया, जबकि वर्ष 2007 में उक्त शिक्षक का पदनाम व्याख्याता अंकित किया गया था. एक ही तरह के शिक्षक के दो अलग-अलग पदनाम सरकार ने तय किया है, जो परिषद के परिणाम का उल्लंघन नहीं है.
विधायक श्री जायसवाल ने सदन में राज्य में क्षेत्रीय निदेशक राष्ट्रीय अध्यापन शिक्षा परिषद भुवनेश्वर के प्रासंगिक आदेश का मामला उठाया. विधायक ने बताया कि आदेश संख्या 32741 दिनांक 31 मई 2015 के अंतर्गत स्नातक शिक्षक प्रशिक्षण का कोर्स दो वर्षीय निर्धारित की गयी है. प्राचार्य राजकीय शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय हजारीबाग द्वारा बीएड सत्र 2015-17 में नामांकन और शुल्क पर सही मार्ग दर्शन नहीं दिया गया है.
निदेशालय को विभिन्न तिथियों में चार पत्रों के माध्यम से मार्ग दर्शन मांगा गया है. महाविद्यालय प्रबंधन को अब तक कोई मार्ग दर्शन उपलब्ध नहीं कराया गया, जिससे छात्रों का नामांकन लेने में काफी कठिनाई हो रही है. छात्रों के हित में निदेशालय मार्गदर्शन महाविद्यालय को उपलब्ध कराने में सरकार हस्तक्षेप करे. सदन में विधायक ने मांगों को जोरदार ढंग से रखा.