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बरसात के मौसम में सांपों से रहें बचकर, इन जहरीले सांपों के बारे में जानें

बरसात का मौसम आते ही सांपों को बाहर आसानी से देखा जा सकता है. कुछ सांप ही जहरीले होते हैं. इसके बावजूद लोगों को सर्तक रहने की जरूरत है. गुमला में एक दर्जन से अधिक प्रजातियों के सांप पाये जाते हैं. इसमें पांच प्रकार के सांप जहरीले होते हैं.

Jharkhand News: बरसात का मौसम है. अभी सांपों को कहीं भी आसानी से देखा जा सकता है. बरसात के मौसम में सांपों के बिल में जब पानी भर जाता है, तो सांप अपने बिल से बाहर निकल आते हैं और खुली सड़कों, खेत-खलिहानों एवं दीवार के किनारों से रेंगते हुए अपने लिए सुरक्षित ठिकाना ढूंढ़ने लगते हैं. इसी दौरान कई लोग सांपों का शिकार हो जाते हैं. सांप को छेड़े जाने पर सांप उग्र हो जाता है और जो भी सामने आ जाये. उसे डंस लेता है. अगर सांप जहरीला न हो, तो कोई बात नहीं. प्राथमिक उपचार के बाद वह ठीक हो जाता है. लेकिन, यदि सांप जहरीला हो, तो उसका जहर पूरे शरीर में फैलने लगता है. जिससे मृत्यु तक हो सकती है. गुमला जिला में भी सांपों की कई प्रजातियां पायी जाती है. जिले में एक दर्जन से भी अधिक तरह के सांप की प्रजातियां हैं.

गुमला में पांच प्रजातियों की मिलती है सांप

वन विभाग गुमला से मिली जानकारी के अनुसार, जिले भर में पांच प्रजातियों के सांप ऐसे हैं, जो जहरीले होते हैं. जिसमें कॉमन इंडियन करैत, रसल वाईपर, बैंडेड करैत, स्पैक्टेकल कोबरा व बोआ सांप है. कॉमन इंडियन करैत छोटी प्रजाति का सांप है. वहीं, रसल वाईपर को ग्रीन पीट के नाम से भी जाना जाता है, जबकि स्पैक्टेकल कोबरा के फन पर चश्मा जैसा दो धारी बना रहता है. इन तीनों प्रकार के सांपों से ज्यादा बचने की जरूरत है, क्योंकि ये तीनों सांप ज्यादा जहरीले होते हैं. इसी प्रकार धामिन (धमना) सांप, रॉक पाईथन (अजगर) कॉमन साइंड बोआ, ढोंढ़ सांप, कॉपर ट्रिकेंड, पाईथन आदि प्रजातियों के सांप जहरीले नहीं होते हैं. बहरहाल, सांप जहरीला हो अथवा नहीं, लोगों को इससे बचने की जरूरत है.

तिकोन सिर वाले सांप होते हैं जहरीले

सांप जहरीला है अथवा नहीं. यह जानना आसान है. जहरीले सांप का सिर तिकोन जैसा रहता है, जबकि बिना जहर वाले सांप का सिर गोल जैसा रहता है. ज्यादार जहरीले सांप के फेस में छोटा सा छिद्र रहता है. उस छिद्र के माध्यम से सांप अपना जहर बाहर की ओर फेकता है. यह भी कह सकते हैं कि सांप अपने उसी छोटे से छिद्र से अपने जहर के माध्यम से अपने दुश्मन पर हमला करता है. ऐसे सांपों से लोगों को दूर ही रहने की जरूरत है.

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सर्पदंश की झाड़-फूंक नहीं, अस्पताल में इलाज कराएं

गुमला जिले में अब तक काफी संख्या में लोग सर्पदंश का शिकार हो चुके हैं. जिसमें कई लोग अपनी जान तक गवां चुके हैं. उपाधीक्षक डॉ एके उरांव ने कहा कि सांप काटने की घटनायें प्राय: ग्रामीण क्षेत्रों में हुई है. ग्रामीण क्षेत्रों में यदि किसी को सांप काट दे तो परिजन उसका झाड़फूंक कराने लगते हैं. झाड़-फूंक कराने के चक्कर में सांप का जहर पूरे शरीर में फैल जाता है. जिससे मृत्यु हो जाती है. लेकिन, अगर झाड़-फूंक कराने के स्थान पर पीड़ित को उपचार के लिए अस्पताल ले जाया जाए, तो उसकी जान बच सकती है.

छेड़ दे तो दुश्मन, नहीं तो किसानों के दोस्त

सांप को यदि कोई छेड़ तो सांप उसका दुश्मन बन जाता है. लेकिन, यदि सांप को छेड़ा नहीं जाए तो वह किसानों के लिए एक सच्चे दोस्त की तरह है. किसान खेतों में जब फसल उगाते हैं तो फसल को चूंहा एवं कई प्रकार के पक्षी नुकसान पहुंचाने का काम करते हैं. लेकिन, यदि वहां सांप हो तो चूहा एवं पक्षी उस खेत की ओर रूख तक नहीं करते हैं. खेत में चूहा अथवा पक्षी दिखने पर सांप उसका शिकार कर लेते हैं.

युवक ने सांप पकड़ा, जंगल में छोड़ा

गुरुवार को रायडीह प्रखंड के एक सांप को युवक ने पकड़ लिया. सांप सड़क पर बैठा हुआ था. पूरेंद्र साहू ने सांप को पकड़कर जंगल में सुरक्षित छोड़ दिया. पूरेंद्र ने बताया कि अगर सांप को जंगल में नहीं छोड़ा जाता तो गाड़ी से कुचलकर मर जाता या तो कोई मार देता. इसलिए जंगल में छोड़ दिया.

सांप काटने की संख्या
माह : संख्या

जनवरी : 01
फरवरी : 00
मार्च : 05
अप्रैल : 14
मई : 35
जुलाई : 68

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अस्पतालों में उपलब्ध एंटी स्नैक वेनम की स्थिति

गुमला अस्पताल स्टोर रूम : 120
गुमला अस्पताल के वार्ड : 100
बसिया रेफरल अस्पताल : 150
सिसई रेफरल अस्पताल : 03
चैनपुर प्रखंड अस्पताल : 07
डुमरी प्रखंड अस्पताल : 20
घाघरा प्रखंड अस्पताल : 50
भरनो प्रखंड अस्पताल : 10
कामडारा प्रखंड अस्पताल : 10
बिशुनपुर प्रखंड अस्पताल : 50


रिपोर्ट : जगरनाथ पासवान/जॉली, गुमला.

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