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गौरवशाली है भारत का अतीत : डीपीओ

गुमला : पर्यटन, कला-संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग झारखंड सरकार तथा राज्य संग्रहालय रांची के संयुक्त तत्वावधान में गुरुवार को गुमला के नगर भवन में पुरातात्विक अवशेष एवं कलाकृति विषय पर संगोष्ठी सह प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. विद्यार्थियों के लिए आयोजित संगोष्ठी सह प्रतियोगिता में कई विद्यालयों के विद्यार्थी शामिल हुए. कार्यक्रम का […]

गुमला : पर्यटन, कला-संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग झारखंड सरकार तथा राज्य संग्रहालय रांची के संयुक्त तत्वावधान में गुरुवार को गुमला के नगर भवन में पुरातात्विक अवशेष एवं कलाकृति विषय पर संगोष्ठी सह प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. विद्यार्थियों के लिए आयोजित संगोष्ठी सह प्रतियोगिता में कई विद्यालयों के विद्यार्थी शामिल हुए.
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि जिला योजना पदाधिकारी (डीपीओ) अरुण कुमार सिंह ने किया. उन्होंने विद्यार्थियों को गौरवशाली भारत देश के बारे में संक्षेप में जानकारी दी और देश के धरोहरों के बारे में जानने के लिए प्रेरित किया. कहा कि भारत देश का अतीत बहुत ही गौरवशाली है. इसे जानना और समझना हम सभी भारतीयों के लिए गौरव की बात है.
भारत देश में सैकड़ों ऐसे स्थान हैं, जो हम सबों के लिए न केवल दर्शनीय हैं, अपितु प्रेरणादायी व पथ प्रदर्शक भी हैं. यदि हम केवल गुमला जिले की बात करें, तो जिले में ही आंजन गांव का आंजनधाम, पालकोट का पंपापुर, डुमरी प्रखंड का टांगीनाथ धाम, रायडीह का हीरादाह, सिसई का नागफेनी स्थल, सिसई का डोयसागढ़ सहित कई ऐसे स्थान हैं, जो पुरातत्व से जुड़ा हुआ है, जो हमारी देश की गौरवगाथा हैं.
केओ कॉलेज गुमला के व्याख्याता प्रोफेसर सुदामा सिंह ने कहा कि प्राचीनतम सभ्यता में पुरातात्विक सामग्रियां पग-पग पर बिखरी पड़ी हैं. जहां हम खड़े हैं अथवा बैठे हैं, संभवत: उसके नीचे भी प्राचीनतम समयकाल के अवशेष होंगे. यही कारण है कि हमारा समृद्ध और गौरवशाली भारत देश प्राचीनतम अवशेषों के लिए जाना जाता है. इस दौरान प्रोफेसर ने हजारीबाग-चतरा का जिक्र करते हुए कहा कि इन क्षेत्रों में हड़प्पा और मोहनजोदाड़ो सभ्यता से पुरानी सभ्यता के अवशेष प्राप्त हुए हैं.
गुमला जिला में भी कई ऐसे स्थान हैं, जहां खुदाई करने से कई प्राचीनतम अवशेष प्राप्त हो सकता है. प्रोफेसर बीएन पांडेय ने कहा कि पुरातात्विक शब्द को गहराई से समझने की जरूरत है. अतीत को भुला कर वर्तमान में सुखमय जीवन की कामना नहीं की जाती है. वर्तमान को बेहतर करने के लिए अतीत को साथ लेकर चलना जरूरी है. उसी प्रकार हमारे देश के प्राचीनतम अवशेष हैं. उसके बारे में हम जितना अधिक जानेंगे, हम अपने देश को उतना ही अधिक जानेंगे. विद्यालय व महाविद्यालयों के विद्यार्थियों को ऐसे स्थलों का शैक्षणिक भ्रमण करा कर जानकारी देने की जरूरत है.
कार्यक्रम को सेवानिवृत्त शिक्षक डोमन राम मोची, एराउज गुमला के निदेशक फादर अनुरंजन हासा पूर्ति व प्रोफेसर मोहम्मद राजीब ने भी संबोधित किया. वहीं विभिन्न विद्यालयों के बच्चों के बीच पुरातात्विक अवशेष एवं कलाकृति विषय पर भाषण, चित्रांकन एवं निबंध प्रतियोगिता हुई.
प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले प्रतिभागी विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया गया. इस अवसर पर कला-संस्कृति विभाग के सुबोध कुमार, संत जेवियर कॉलेज के प्रोफेसर शिवराम गुप्ता, जतन कुमार, सुमन कुमार, सुषमा नाग, राजेश गुप्ता, कैलाश नाग व अजय किशोर पांडेय सहित कई लोग उपस्थित थे.

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