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आदिम जनजाति को मिलेगा पानी

खुशखबरी. सरकार ने दो करोड़ रुपये की योजना तैयार की बिशुनपुर के पहाड़ों में बसे गांवों में पानी पहुंचाने के लिए दो करोड़ रुपये खर्च होंगे. जिला जल एवं स्वच्छता समिति ने पहल शुरू कर दी है. वर्ष 2017 से काम शुरू होगा. एक वर्ष में 15 गांव में पानी पहुंचाने की योजना है. गुमला […]

खुशखबरी. सरकार ने दो करोड़ रुपये की योजना तैयार की
बिशुनपुर के पहाड़ों में बसे गांवों में पानी पहुंचाने के लिए दो करोड़ रुपये खर्च होंगे. जिला जल एवं स्वच्छता समिति ने पहल शुरू कर दी है. वर्ष 2017 से काम शुरू होगा. एक वर्ष में 15 गांव में पानी पहुंचाने की योजना है.
गुमला : गुमला जिला स्थित बिशुनपुर प्रखंड के पहाड़ों पर रहनेवाले आदिम जनजाति के परिवार तक पीने का स्वच्छ पानी उपलब्ध कराया जायेगा. इसकी प्रशासनिक तैयारी शुरू कर दी गयी है.
गांव से सटे नदी से सप्लाई पानी पाइप के माध्यम से पहुंचाया जायेगा. जिस गांव के समीप नदी नहीं है, वहां डीप बोरिंग की जायेगी. इसमें दो करोड़ रुपये खर्च होंगे. आदिम जनजाति बहुल 15 गांवों में पानी पहुंचाने की योजना है. गुमला की जिला जल एवं स्वच्छता समिति सभी 15 गांव का सर्वे कर चुकी है. जिला माइंस फाउंडेशन ट्रस्ट के माध्यम से सभी कार्य होंगे. योजना को धरातल पर उतारने की जिम्मेवारी जिला जल एवं स्वच्छता समिति, गुमला को दी गयी है.
वर्ष 2017 के जनवरी से कार्य शुरू होगा. इस कार्य को दिसंबर तक पूरा कर लेना है. लोगों को 2017 के अंतिम माह से पानी मिलना शुरू हो जायेगा. कार्यपालक अभियंता त्रिभुवन बैठा ने बताया कि माइंस क्षेत्र में उत्खनन का काम करनेवाली कंपनी को 30 प्रतिशत राशि खर्च करनी है. शुद्ध पानी उपलब्ध कराने में दो करोड़ की राशि खर्च होगी. जहां नदी है, उस गांव में पाइप से पानी ले जाने की व्यवस्था होगी. जहां नदी नहीं है, वहां डीप बोरिंग कर पानी उपलब्ध कराया जायेगा. 15 गांव के लगभग 10 हजार लोगों तक शुद्ध पानी पहुंचाने की तैयारी चल रही है. प्रथम फेज में बिशुनपुर प्रखंड के 15 गांव का चयन हुआ है. दूसरे फेज में घाघरा, डुमरी व चैनपुर के गांवों का चयन किया जायेगा.
अभी पहाड़ पर बसे गांवों की स्थिति खराब है
अभी पहाड़ पर बसे गांवों की स्थिति खराब है. गांवों में चापानल नहीं हैं. कुआं नहीं है. लोग पानी के लिए दो से तीन किमी की दूरी तय कर रहे हैं. वे लोग नदी या पहाड़ों से गिरनेवाला पानी पीते हैं. खास कर आदिम जनजाति गांवों की स्थिति सबसे खराब है. स्कूल के बच्चे पढ़ाई छोड़ कर पीने का पानी जुगाड़ करते नजर आते हैं. जिले के कई ऐसे गांव हैं, जहां गरमी में पानी के लिए त्राहिमाम मच जाता है.
44.17 करोड़ की डीपीआर तैयार
गुमला आैर घाघरा प्रखंड के तीन गांवों के लिए खुशखबरी है. इन गांवों में राष्ट्रीय ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत पानी पहुंचाने की तैयारी है. इसके लिए तीन डीपीआर बनायी गयी है. इसमें घाघरा प्रखंड के बेलागाड़ा के लिए 15 करोड़ 81 लाख, गुमला प्रखंड के बसुवा फोरी के लिए 17 करोड़ 77 लाख आैर गुमला के सिलाफारी गांव के लिए दस करोड़ 59 लाख रुपये की डीपीआर बन गयी है. इन तीन गांवों में 44 करोड़ 17 लाख रुपये खर्च होंगे. जिला जल एवं स्वच्छता समिति के अनुसार वर्ष 2017 में इन तीनों योजनाओं में काम शुरू हो जायेगा.
11 गांवों के लिए बन रही है डीपीआर
गुमला जिले के 11 गांवों में राष्ट्रीय ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत सप्लाई पानी पहुंचाने की बड़ी योजना है. इन गांवों में पानी पहुंचाने आैर खर्च से संबंधित डीपीआर बन रही है. चयनित गांवों में रायडीह, मांझाटोली, मुरगू, चैनपुर, बनारी, कांसीर, गम्हरिया, बागेसेरा, रामतोल्या, पोजेंगा आैर कामडारा है. इइ त्रिभुवन बैठा ने बताया कि इन सभी गांवों में 10 से 15 करोड़ रुपये की लागत से जलापूर्ति योजना चालू करनी है. इसमें जलमीनार बनेगी. नदी से लेकर गांव तक पाइप बिछायी जायेगी. गांव के सभी घर में पानी कनेक्शन पहुंचाना है. चयनित गांव के समीप से बहनेवाली नदियों से पानी सप्लाई की जायेगी.
विभाग चाहता है कि हर गांव के लोगों को पानी मिले. इसके तहत योजना तैयार कर काम किया जा रहा है. बिशुनपुर व कामडारा मुख्यालय में बड़ी योजना बननेवाली है. जल्द इसका टेंडर निकालेंगे. नये साल में जलापूर्ति की कई बड़ी योजना शुरू होगी.
त्रिभुवन बैठा, इइ, जिला जल एवं स्वच्छता समिति

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