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प्रोन्नति की मांग पर आमरण अनशन

डब्ल्यूपीएस 1721/14 कुमार सुंदरम भारद्वाज बनाम राज्य सरकार एवं अन्य में झारखंड उच्च न्यायालय रांची द्वारा पारित न्यायादेश का अनुपालन नहीं कर मुझे प्रोन्नति नहीं दी गयी गुमला : राजकीय मवि अरमई के स्नातक प्रशिक्षित विज्ञान शिक्षक कुमार सुंदरम भारद्वाज व राजकीय मवि बिशुनपुर के शिक्षक मणिकुमार साहू ने सोमवार से कचहरी परिसर में प्रोन्नति […]

डब्ल्यूपीएस 1721/14 कुमार सुंदरम भारद्वाज बनाम राज्य सरकार एवं अन्य में झारखंड उच्च न्यायालय रांची द्वारा पारित न्यायादेश का अनुपालन नहीं कर मुझे प्रोन्नति नहीं दी गयी
गुमला : राजकीय मवि अरमई के स्नातक प्रशिक्षित विज्ञान शिक्षक कुमार सुंदरम भारद्वाज व राजकीय मवि बिशुनपुर के शिक्षक मणिकुमार साहू ने सोमवार से कचहरी परिसर में प्रोन्नति की मांग को लेकर आमरण अनशन शुरू कर दिया है. सुदरम ने कहा कि डब्ल्यूपीएस 1721/14 कुमार सुदरम भारद्वाज बनाम राज्य सरकार एवं अन्य में झारखंड उच्च न्यायालय रांची द्वारा पारित न्यायादेश का अनुपालन नहीं कर मुझे प्रोन्नति नहीं दी गयी.
समस्या के निराकरण के लिए मैंने कई बार डीएसइ से निवेदन किया, लेकिन समस्या जस की तस है, बल्कि और मुझे परेशान किया जा रहा है.
डीएसइ स्थापना समिति गुमला द्वारा लिये गये निर्णय के आलोक में डीएसइ के ज्ञापांक 1081 दिनांक 30 मई-2015 द्वारा विभागीय नियमानुसार ग्रेड 04 स्नातक प्रशिक्षित शिक्षक विज्ञान के पद पर मुझे प्रोन्नति दी गयी थी. डीएसइ गुमला द्वारा सारे विभागीय नियमावली एवं परिपत्रों के विरुद्ध जाकर दुर्भावना एवं पूर्वाग्रह से वशीभूत मेरी प्रोन्नति ज्ञापांक 1822 दिनांक एक अक्तूबर -2013 द्वारा रद्द कर दी गयी थी, जिसे निरस्त करने के लिए मैंने उच्च न्यायालय रांची में रिट याचिका दायर किया था. जिसे न्यायालय द्वारा उक्त वाद में उभय पक्ष की दलीले सुन कर 17 मार्च-2016 को न्यायादेश पारित किया. उच्च न्यायालय द्वारा सरकार के संकल्प संख्या 3027 दिनांक 14 दिसंबर 15 के आलोक में मेरी नियुक्ति तिथि 27 सितंबर 1994 से ग्रेड वन प्रदान करते हुए इससे आठ वर्ष की सेवा के उपरांत एक मई 2003 से ग्रेड 04 स्नातक प्रशिक्षित शिक्षक विज्ञान के पद पर उन्हें प्रोन्नति देने का निर्देश दिया गया है. जिसे सभी सरकारी पक्ष ने न्यायालय में स्वीकार किया है. सभी वांछित अभिलेख मेरे द्वारा डीएसइ गुमला के कार्यालय में पूर्व में ही जमा किया जा चुका है.
इस न्यायादेश के आलोक में मुझे मेरी नियुक्ति तिथि से ही ग्रेड वन प्राप्त होता है तथा ग्रेड 04 स्नातक प्रशिक्षित शिक्षक विज्ञान के पद पर मेरा दावा से ही निर्धारित होता है. अंकित करना है. उक्त आदेश के आलोक में मुझे मेरी प्रोन्नति की तिथि में आंशिक सुधार करते हुए इसे एक मई 2003 से ही मिलना चाहिए था, परंतु तत्कालीन डीएसइ द्वारा गलत ढंग से मेरी प्रोन्नति ही काटने का आदेश निर्गत कर दिया गया है, जो मेरे साथ अन्याय है.

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