गुमला : मुसलिम समाज की जो अंजुमन व कमेटी होती है, वह अपना आय व्यय का हिसाब रमजान के महीने में दे देती है, लेकिन अंजुमन इस्लामियां गुमला की दुनियां ही अलग है. ये बातें प्रवक्ता मो आशिक अंसारी ने कही. उन्होंने कहा कि 30 जून को अंजुमन का चुनाव हुए सात वर्ष हो गया, जबकि हर तीन वर्ष में चुनाव होना है.
इन सात वर्षों में अंजुमन की कार्यकारी की सात बार भी बैठक नहीं हुई. गुमला के मुसलिम आवाम का क्या भला होगा, यह फिक्र करने की बात है. इन सात वर्षों में अंजुमन ने एक वर्ष का भी हिसाब किताब आवाम के सामने पेश नहीं किया, जबकि अंजुमन की दुकान आदि से लाखों रुपये का सालाना आमदनी है. आवाम से फितरा जकात के नाम पर पैसा अंजुमन इस्लामियां वसूलता जरूर है, मगर उसका हिसाब नहीं देता है.
अंजुमन के सदर व सचिव के कार्यकलाप से गुमला के आवाम में काफी बेचैनी व आक्रोश है. अगर शीघ्र ही चुनाव नहीं कराया गया व सात वर्षों का हिसाब किताब आवाम के सामने पेश नहीं किया गया, तो मामला अदालत तक जाने की तैयारी चल रही है, जहां अंजुमन के पदाधिकारियों को हिसाब तो देना ही होगा.
झूठ बोलना नहीं चाहिए : मिन्हाजुद्दीनगुमला. अंजुमन इस्लामियां गुमला के सदस्य मो मिन्हाजुद्दीन ने कहा कि आशिक अंसारी को मालूम होना चाहिए कि अभी रमजान का महीना है. इस महीने में झूठ नहीं बोलना चाहिए, लेकिन उन्हें जरा भी रमजान का फ्रिक नहीं है. अपने घर की लड़ाई का बदला अंजुमन से ले रहे हैं. कुछ दिनों तक अंसारी अंजुमन के हितैषी थे, लेकिन अचानक आज अंजुमन उनके लिए दुश्मन बन गया. अंजुमन का कार्रवाई रजिस्टर अंसारी दबा कर बैठे हैं. मेरा अनुरोध है कि समाज को जोड़ने का काम करें, तोड़ने का नहीं.