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स्कूल जायेंगे सुजीत, कमल, शिल्पा

2012 से जेल में बंद के साथ रह रहे तीन बच्चों को सीडब्ल्यूसी ने गोद िलया हत्या के मामले में दो महिलाएं वर्ष 2012 से जेल में बंद हैं. इनके तीन बच्चे हैं. महिलाओं ने प्रशासन से बच्चों को पढ़ाने की गुहार लगायी. सीडब्ल्यूसी ने पहल कर तीनों बच्चों को पढ़ाने के लिए अपने संरक्षण […]

2012 से जेल में बंद के साथ रह रहे तीन बच्चों को सीडब्ल्यूसी ने गोद िलया
हत्या के मामले में दो महिलाएं वर्ष 2012 से जेल में बंद हैं. इनके तीन बच्चे हैं. महिलाओं ने प्रशासन से बच्चों को पढ़ाने की गुहार लगायी. सीडब्ल्यूसी ने पहल कर तीनों बच्चों को पढ़ाने के लिए अपने संरक्षण में लिया.
दुर्जय पासवान
गुमला :गुमला जेल में बंद ‘मां’ के तीन बच्चे अब पढ़ेंगे. सुजीत उरांव व कमल मिंज का दाखिला शिक्षा-दीक्षा आदिवासी स्कूल में होगा.शिल्पा कुमारी विकास भारती के बाल गृह में पढ़ेगी. तीनों बच्चों की उम्र चार से पांच वर्ष है. ये बच्चे पढ़ेंगे आैर भविष्य गढ़ेंगे. यह संभव सीडब्ल्यूसी न्यायपीठ की चेयरमैन तागरेन पन्ना की पहल पर हुआ है. इन बच्चों की मां वर्ष 2012 से हत्या के मामले में जेल में बंद है.
मां के साथ ही तीनों बच्चे जेल में थे. जब बच्चे बड़े हुए, तो मां की चिंता थी कि उनके बच्चों का भविष्य क्या होगा. बच्चों की शिक्षा व आश्रय के लिए मां ने प्रशासन से गुहार लगायी. इसकी जानकारी सीडब्ल्यूसी की चेयरमैन को मिली. उन्होंने जेल प्रशासन से बात कर तीनों बच्चों को अपने संरक्षण में ले लिया. इसके बाद बच्चों को पढ़ाने की व्यवस्था की. इधर, बच्चों ने कहा कि अब हमरे मन भी स्कूल जाब और पढ़ब. कल्याण विभाग ने नहीं दिया ध्यान
दो माह पहले जेल प्रशासन ने कल्याण विभाग से तीनों बच्चों को स्कूल में दाखिला कराने के लिए आवेदन लिखा था. उस समय डीसी ने भी कल्याण विभाग से बच्चों के पढ़ाई की व्यवस्था करने के लिए कहा था. कल्याण विभाग ने बच्चों की पढ़ाई की दिशा में पहल नहीं की. इसके बाद सीडब्ल्यूसी की चेयरमैन तागरेन पन्ना ने बच्चों के पढ़ने की व्यवस्था की.
पढ़ कर अपनी पहचान बनायें बच्चे
सुजीत और शिल्पा के दादा बंधन उरांव व दादी चारे उरांव ने कहा कि बेटा दुनिया में नहीं रहा. बहू भी जेल में है. अब दो बच्चे हैं. इनके भविष्य को लेकर चिंता थी. सीडब्ल्यूसी की पहल पर अब ये बच्चे स्कूल जायेंगे. अपना भविष्य खुद बनायेंगे. हमलोगों के लिए खुशी की बात है. हमारी इच्छा है दोनों बच्चे पढ़ कर अपनी पहचान खुद बनाये.
जेल में बंद दो महिलाओं ने अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए गुहार लगायी थी. इसके बाद जेल अधीक्षक ने सीडब्ल्यूसी को पत्र लिखा. पत्र के आलोक में बच्चों को पढ़ाने की व्यवस्था की गयी है. 17 वर्ष की उम्र तक बच्चों की शिक्षा की पूरी व्यवस्था की जायेगी.
तागरेन पन्ना, चेयरमैन, सीडब्ल्यूसी
हत्या मामले में जेल में है मां
गुमला की दो महिलाएं हत्या के मामलेे मेंजेल में बंद है. एक महिला ने अपने रिश्तेदार व दूसरी महिला ने अपने पति की हत्या की. दोनों को पुलिस ने जेल भेज दिया. जिस समय दोनों महिलाएं जेल गयीं, उस समय उनके बच्चे छोटे थे. इसलिए मां के साथ बच्चे भी जेल गये. इसमें सुजीत व शिल्पा सगे -भाई बहनहैं. अब बच्चे चार से पांच साल के हो गये, तो दोनों महिलाओं ने अपने बच्चों को अच्छे संस्कार व शिक्षा देने की गुहार लगायी है.
इधर, अभी भी मां के साथ बच्चे
गुमला जेल में कई विचाराधीन महिला कैदी हैं, जो विभिन्न अपराधिक मामलों में जेल में बंद हैं. इनके साथ छोटे -छोटे बच्चे भी हैं. सभी बच्चे अपनी मां के साथ जेल में बंद हैं.

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