चैनपुर(गुमला) : गुमला जिले के इतिहास में यह पहली बार हुआ है. जब नक्सलियों के गढ़ में ग्रामीणों ने जनअदालत लगाकर अपना फैसला सुनाया. सात जनवरी को जिस क्रूरता से महिला की गैंगरेप करने के बाद उसकी हत्या की गयी थी. तब से ग्रामीण अपने स्तर से आरोपी को खोज रहे थे.
लेकिन महिला की हत्या के 15 दिन बाद मामले का खुलासा हुआ, तो ग्रामीण उग्र हो उठे. दरकाना गांव जहां शुक्रवार को ग्रामीणों ने जन-अदालत लगायी. वहां पहले भाकपा माओवादी के नक्सली जन अदालत लगाते थे. लेकिन दोनों में अंतर है. पहले माओवादी कोई भी फैसला सुनाते थे. लेकिन इसबार ग्रामीणों ने अपना फैसला सुनाया.
आरोपी लालमोहन की पहले पिटाई की गयी. फिर उसका गुप्तांग काट दिया. इसके बाद जन-अदालत में ही जिंदा जला कर मार डाला. एक अन्य आरोपी संतोष, जिसने पूरे घटना का खुलासा किया. इस कारण ग्रामीणों ने उसकी पिटाई की उसे जिंदा छोड़ दिया. संतोष ने जन-अदालत में अपना अपराध स्वीकार कर लिया है. दो आरोपी दिलीप व याकूब को भी ग्रामीण मारने की तैयारी में थे. लेकिन दोनों आरोपी की जान गांव के लोगों के कारण उनकी जान बच गयी.
यहां बता दें कि जन-अदालत सुबह 11 बजे लगायी गयी थी. जो शाम पांच बजे तक चली. इस दौरान दरकाना गांव के लोग व आरोपी लोगों के गांव के ग्रामीणों के बीच बहस भी हुई. काफी लंबे बहस के बाद ग्रामीणों ने लालमोहन के मौत का फरमान जारी किया गया. चूंकि दरकाना नक्सल इलाका है. माओवादी हैं. इस कारण पुलिस समाचार लिखे जाने तक शव को लाने गांव नहीं गयी है.