गुमला : चैनपुर प्रखंड के पहाड़ पर बसे लुपुंगपाट गांव की आदिम जनजाति की छह लड़कियों को मानव तस्करों ने दिल्ली में बेच दिया है. इनकी उम्र 13 से 17 वर्ष के बीच है. कोई दो साल तो कोई पांच साल पहले से गायब हैं.
मामला तब प्रकाश में आया, जब एराउज संस्था (चाइल्ड लाइन) के लोग लुपुंगपाट गांव पहुंचे. असुर जनजाति के लोगों ने संस्था के निदेशक फादर अनुरंजन तिर्की को बताया कि गांव की कई लड़कियां गायब हैं. संस्था ने मामले को गंभीरता से लिया. चाइल्ड लाइन के माध्यम से सीडब्ल्यूसी में कंप्लेन दर्ज किया जायेगा.
इन लड़कियों को खोज कर लाया जा सके. इस बीच सीडब्ल्यूसी, गुमला के चेयरमैन तागरेन पन्ना ने बताया : अभी मेरे पास लिखित कंप्लेन नहीं आया है. लेकिन सूचना मिली है कि कुछ आदिम जनजाति लड़कियां गायब हैं. कंप्लेन आने के बाद इसकी जांच कराकर लड़कियों को खोजा जायेगा.
गांव में पानी संकट देखने आयी थी संस्था : गांव में पीने का पानी नहीं है. यह समाचार प्रभात खबर में छपा था. इसके बाद एराउज संस्था के लोग गांव का हाल जानने पहुंचे थे. निदेशक फादर अनुरंजन तिर्की ने बताया कि गांव की स्थिति काफी खराब है. पीने के पानी की व्यवस्था की जानकारी लेने के दौरान ही गांव की कई लड़कियों को दिल्ली में बेचने की जानकारी मिली है.
गांव में असुर जनजाति के 74 लाेग : लुपुंगपाट गांव में 74 असुर जनजाति के लोग रहते हैं. सरकारी योजनाओं से महरूम इस गांव में जाने के लिए सड़क नहीं है. पहाड़ चढ़ कर गांव जाना पड़ता है. लोगाें काे सरकारी सुविधा मिलने का इंतजार है.
लड़कियां कहां, पता नहीं : लुपुंगपाट की अनास्तसिया असुर ने कहा कि कई लड़कियां गायब हैं. परिजनों ने बेटियाें को वापस लाने की गुहार लगायी है. गरीबी के कारण बहकावे में आकर लड़कियां मानव तस्करों के चंगुल में फंस गयी. ये लड़कियां कहां हैं, इसका पता नहीं है.