डुमरी(गुमला) : लगता है, जीते जी गांव में बिजली नहीं लगेगी. मरने के बाद ही गांव में बिजली जलेगी. यह कहना है 67 वर्षीय सेरोफिनुस तिर्की का है. कहा कि सरकार कहां है. प्रशासन क्या कर रही है. इसी से अंदाजा लगता है.
डुमरी प्रखंड से सटा है बासाटोली गांव. लेकिन आजादी के 68 वर्ष बाद भी गांव में बिजली नहीं पहुंची. ग्रामीण विद्युतिकरण योजना इस क्षेत्र के लिए महज दिखावा साबित हो रहा है. डुमरी लोहरदगा संसदीय क्षेत्र के सांसद सह राज्य मंत्री सुदर्शन भगत व गुमला विधायक शिवशंकर उरांव का गृह प्रखंड है. इसके बाद भी इस गांव की यह स्थिति है. गांव में 37 परिवार निवास करते हैं. अनुसूचित जनजाति बहुल गांव है.
लेकिन आज भी इस क्षेत्र के लोग आदिम युग में जीने को विवश हैं. गांव की हालात को जानने का प्रयास प्रतिनिधि प्रेमप्रकाश भगत ने किया है. गांव पहुंच कर बात की तो समस्याओं से जूझ रही जनता का दर्द उभर आया. बिजली के अलावा सड़क नहीं है. पीने का पानी नहीं है. लोग नदी का पानी पीते हैं. रोजगार का साधन नहीं. लोग पलायन कर रहे हैं.
चुनाव के समय नजर आते हैं नेता
गांव के 49 वर्षीय रोकरेस तिर्की, 56 वर्षीय वाल्टर कुजूर व 76 वर्षीय सेवेस्तियन केरकेट्टा ने कहा : तीन वर्ष पहले बिजली के लिए सर्वे हुआ था. पर अभी तक नहीं जली बिजली. नेता लोग चुनाव के समय वोट लेने आते हैं. लेकिन चुनाव खत्म होते ही गांव को भूल जाते हैं. पंचायत चुनाव में भी लोगों ने ठगने का आरोप लगाया है. लोगों का अब किसी विकास के रहनुमा का इंतजार है, जो गांव का विकास कर सके.