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लीड ::9::: नहीं बदली लोंबोई पंचायत की तसवीर

लीड ::9::: नहीं बदली लोंबोई पंचायत की तसवीर विभिन्न समस्याओं से जूझ रहा है लोंबोई पंचायत फोटो फाइल:4एसआइएम:, 17, पूर्व मुखिया, 19 दूसरे स्थान पर रहे थे, 14 व 15 जर्जर सड़क, 16- पंचायत भवन, 18, 20, 21, 22, 23 में ग्रामीण.प्रतिनिधि, जलडेगा त्रिस्तरीय चुनाव के पांच साल बीत गये. दोबारा पंचायत चुनाव की प्रक्रिया […]

लीड ::9::: नहीं बदली लोंबोई पंचायत की तसवीर विभिन्न समस्याओं से जूझ रहा है लोंबोई पंचायत फोटो फाइल:4एसआइएम:, 17, पूर्व मुखिया, 19 दूसरे स्थान पर रहे थे, 14 व 15 जर्जर सड़क, 16- पंचायत भवन, 18, 20, 21, 22, 23 में ग्रामीण.प्रतिनिधि, जलडेगा त्रिस्तरीय चुनाव के पांच साल बीत गये. दोबारा पंचायत चुनाव की प्रक्रिया जारी है. इस पांच साल के अंदर राज्य में कई सरकारें बदली, प्रशासनिक पदाधिकारी बदले, किंतु लोंबोई पंचायत की तसवीर नहीं बदली. प्रखंड मुख्यालय से लगभग 18 किलोमीटर पर स्थित लोंबोई पंचायत की स्थिति अब तक वैसी ही है, जैसी स्थिति पांच साल पूर्व थी. त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव से ग्रामीणों की आशाएं बंधी थी. काफी उत्साह के साथ ग्रामीणों ने प्रतिनिधियों का चयन किया था. विकास की उम्मीदें जतायी थीं. किंतु देखते-देखते पांच साल गुजर गये, नतीजा सिफर निकला. उक्त पंचायत अब तक विभिन्न समस्याओं से जूझ रहा है. यहां बुनियादी सुविधाओं का भी घोर अभाव है. आदिवासी बहूल क्षेत्र लाेंबोई के लोगों मुख्य पेशा कृषि है. किंतु कृषि के क्षेत्र में यहां कुछ भी विकास नहीं हुआ. सिंचाई जैसी मूल सुविधा यहां के लोगों को मयस्सर नहीं है. किसान बरसाती पानी पर ही निर्भर हैं. इसके अलावा सड़क, बिजली, चिकित्सा आदि सुविधाएं भी नहीं के बराबर हैं. यदि कहीं सड़क है भी तो उसकी स्थिति ऐसी है कि उस पर पैदल चलना भी मुश्किल है. अब भी कई गांव ऐसे हैं, जहां के लोग पगडंडियों के सहारे चलते हैं. पंचायत सचिवालय को जोड़नेवाली सड़क का भी निर्माण नहीं किया गया है. बासैर, करमापानी, कहुपानी, खजूरबेड़ा आदि गांव के लोग पगडंडियों के सहारे चल कर पंचायत सचिवालय आते हैं. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की भी स्थिति बदतर है. कई सड़क योजनाएं वर्षों से अधूरी पड़ी हैं. उपस्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सक नहीं आते. नर्स के सहारे उप स्वास्थ्य केंद्र का संचालन होता है. गंभीर रूप से बीमार लोगों को अन्यत्र इलाज के लिए ले जाना पड़ता है. पंचायत में शिक्षा की भी उचित व्यवस्था नहीं है. हालांकि एक उच्च विद्यालय के अलावा प्राथमिक एवं मध्य विद्यालय विद्यालय भी हैं. किंतु उक्त विद्यालय भी विभिन्न समस्याओं से जूझ रहे हैं. पंचायत के कई गांव में पेयजल की भी गंभीर समस्या है. बासैर, खजूरबेड़ा आदि गांव में एक भी चापानल नहीं लगाया गया है. परिणाम स्वरूप यहां के लोग डांड़ी व नदी का पानी पीने काे विवश हैं. ग्राम प्रधान जुनास तोपनो, ग्राम सभा सचिव मुकुट बागे, एमन बागे, मतियस तोपनो, इलियास लुगून, सालमोन लुगून आदि का कहना है कि गांव की सरकार बने पांच साल गुजर गये, किंतु उम्मीद के मुताबिक विकास नहीं हुआ. पंचायत चुनाव के बाद जो सपने देखे थे वह पूरा नहीं हुआ. जन प्रतिनिधियों ने सिर्फ वादे किये, किंतु उसे निभा नहीं पाये. पूर्ण अधिकार नहीं मिला: मुखियापिछले पंचायत चुनाव में लोंबाई पंचायत मुखिया रहे शिशिर डांग का कहना है कि क्षेत्र के विकास का उन्होंने हरसंभव प्रयास किया. विकास कार्य भी हुआ है. किंतु संपूर्ण अधिकार नहीं मिलने के कारण क्षेत्र का अपेक्षित विकास नहीं हो पाया. उन्होंने कहा कि क्षेत्र का विकास और भी तेजी के साथ होना चाहिएकुछ भी विकास नहीं हुआ: सुमनसी समदपिछले पंचायत चुनाव में मुखिया के पद पर दूसरे स्थान पर रहे सुमनसी समद का कहना है कि क्षेत्र का कुछ भी विकास नहीं हुआ. जो स्थित पांच साल पूर्व थी, वही स्थिति आज भी है. उन्होंने कहा कि क्षेत्र में सड़क, पेयजल, बिजली, सिंचाई, चिकित्सा आदि समस्याएं आज व्याप्त हैं. समस्याओं को दूर करने के लिए कोई विशेष पहल नहीं की गयी.बॉक्सफैक्ट फाइलप्रखंड- जलडेगापंचायत- लोंबोईवार्ड -15आबादी -7303मुखिया का पद -1पंसस का पद- 2 \\\\B

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