दुर्जय पासवान
गुमला : चैनपुर प्रखंड के पहाड़ पर स्थित लुपुंगपाट गांव में निवास करनेवाले असुर आदिम जनजातियों ने आजादी के 68 साल बाद बिजली देखी. तीन माह पहले असुर जाति के 74 परिवार के घरों में नि:शुल्क बिजली पहुंचायी गयी है. संभवत: झारखंड राज्य का यह पहला असुर बहुल गांव है, जहां आजादी के बाद पहली बार बिजली पहुंची है. गांव में बिजली जलने से असुर जाति के लोग खुश हैं. गांव में सोलर लाइट भी लगाया गया है.
बिजली नहीं रहने पर सोलर लाइट से गांव में बल्ब जलती है. नहीं सुधरी है गांव की स्थितिगांव के श्रीयानुस असुर व रफैल असुर ने कहा कि चैनपुर से गांव की दूरी 12 किमी है. जंगल व पहाड़ों पर है. गांव तक जाने के लिए सड़क नहीं है. यहां कई समस्या है. जिससे लोग आजादी के बावजूद झेल रहे हैं. आजादी के 68 साल में सिर्फ बिजली मिली है. पीने का पानी का साधन नहीं है. चलने के लिए सड़क नहीं है.
असुर में शिक्षा का स्तर बढ़ा है
लुपुंगपाट : गांव की अच्छी बात यह है कि यहां के बच्चे शिक्षा के प्रति जागरूक हैं. माता-पिता अनपढ़ हैं. लेकिन बच्चे जरूर स्कूल जाते हैं. 15 युवक-युवती मैट्रिक पास व पांच युवक-युवती इंटर पास है. कई बच्चे हाई स्कूल में पढ़ते हैं. ज्वाकिम का बेटा राजू असुर गुमला में पढ़ाई के साथ कंप्यूटर की शिक्षा ग्रहण कर रहा है.पहले रात को पढ़ाई में दिक्कत होती थी. लेकिन अब बिजली व सोलर लाइट से रात में बढ़िया से पढ़ते हैं.
खुशी है कि बिजली जल रही है.अमर असुर, नौंवी कक्षा का छात्रबाप से लेकर दादा, परदादा मर गये. लेकिन उनके जीते जी गांव में बिजली नहीं आयी. मेरी उम्र 65 साल हो गयी. खुशी है कि जिंदा रहते गांव में बिजली देखी.जवाकिम असुर, ग्रामीण, लुपुंगपाट