सिसई : सिसई कार्तिक उरांव बाल विकास विद्यालय, कार्तिक नगर में शुक्रवार को विश्व आदिवासी दिवस मनाया गया. अध्यक्षा आदिवासी विकास परिषद के अध्यक्ष प्रो मांगे उरांव ने की.
मौके पर आजसू पार्टी के केंद्रीय प्रवक्ता डॉ देवशरण भगत ने कहा कि आदिवासियों की घटती जनसंख्या, लुप्त होती भाषा–संस्कृति, रीति–रिवाज एवं परंपरा को बचाने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 23 दिसंबर 1994 प्रस्ताव लाया गया और नौ अगस्त को पूरे विश्व में आदिवासी दिवस मनाने का घोषणा की गयी. भारत में आदिवासियों की सर्वाधिक जनसंख्या है. जिसके उत्थान के लिए आज पूरे दुनिया में आदिवासी दिवस मनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि आदिवासी की दिशा, दशा, स्थिति के अनुसार योजना बनाने की जरूरत है.
प्रकृति पूजन समाज जल, जंगल, जमीन पर निर्भर है. पहचान भाषा, संस्कृति से ही होता है. हमारे पूर्वज तेलंगा खड़िया, वीर बुधु भगत सहित कई महापुरुषों ने देश की आजादी के लिए कुरबानी दी. समाज सुधारक कार्तिक उरांव इंजीनियर बन राजनीति में आये और आदिवासी समाज को आगे बढ़ाने के लिए रणनीति बनाया. उनके पहचान पथ प्रदर्शक के रूप में युवा वर्ग अपनाकर चले तो आदिवासी समाज को आगे बढ़ने सुलभ होगा.
मौके पर प्रमुख शनियारो देवी एवं जिप सदस्य सह झापा नेत्री किरण माला बाड़ा ने कहा कि आदिवासी समाज पढ़ लिख कर हक और अधिकार के लिए संघर्ष कर रहे हैं. पर सरकार द्वारा दिया गया अधिकार का लाभ हम नहीं ले पा रहे हैं. स्वतंत्र भारत में भी संसाधन से वंचित धार्मिक रूपांतर के कारण भाषा संस्कृति से दूर हो रहे हैं. आज आदिवासी समाज के अगुवा कार्तिक उरांव के स्मारक के सामने संकल्प लेकर जाना होगा कि एक–एक व्यक्ति समाज उत्थान कार्य करेंगे.
मौके पर सचिदानंद उरांव ने आदिवासी दिवस पर ऐतिहासिक विवरण प्रस्तुत किया. कार्यक्रम में पूर्व समाज सेवी लोयो उरांव, चमरा उरांव,सुकरा उरांव तथा विद्यालय के उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले तीन छात्रों को सम्मानित किया गया. कार्यक्रम में छात्र–झात्राओं ने पारंपरिक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया. स्वागत भाषण प्रधानाध्यापक धुमा उरांव, मुखिया सुखदेव उरांव, शकुंतला उरांव, विजय लक्ष्मी, चंद्रमुनी ने भी संबोधित किया.
मौके पर कार्तिक उरांव आदिवासी कुडूख विद्यालय मंगलों के छात्रों, शिक्षकों, कार्तिक उरांव, बाल विकास विद्यालय में छात्र–शिक्षक सहित सुरेंद्र उरांव, कार्तिक उरांव, सुरेश बाखला, जगदेव उरांव, साधो उरांव, सुमेश उरांव, बंधु उरांव सहित भारी संख्या में लोग उपस्थित थे.